मानवजाति का संघर्ष और प्रगति | Manav Jati Ka Sangharsh Aur Pragati

Book Image : मानवजाति का संघर्ष और प्रगति - Manav Jati Ka Sangharsh Aur Pragati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रैदे गिरफ्तार कर लिया । सायंकाल को लाखों व्यक्तियों ने मन्त्रिअणुडल पर धावा कर दिया जिन से तमाशबीनों की संख्या ही अधिक थी । सभी मन्त्री जान बचा कर भाग गए और इस तरह बिना किसी घटना के स्थायी सरकार नष्ट हो गई । रात के १९ बजे तक पू्णरूप से बोल्शेविक सरकार की स्थापना हों-गंड । यह सम्पूर्ण क्रान्ति इतनी चुपचाप हुई कि विदेशी सम्वाद-दाताओं को इस महान राज्य-क्रास्ति का पता तक भी नहीं चला । इस क्रान्ति में बहुत ही थोड़ा नगरय-सा रक्तपात हुआं । मास्को में बोल्शेविक राज्य स्थापित करते हुए कुछ रक्‍्तपात अवश्य हुआ । लेनिन ने यह घोषणा कर दी कि बोल्शेविक राज्य में जमीनों पर किसानों का ही अधिकार होगा । किसानों के लिए यह लालच बहुत बड़ा था । उन्होने वोल्शेविक राज्य स्थापित करने में बड़ी सहायता दी और जमीनों पर श्पना अधिकार कर लिया । बाद से जब इन ज़मीनों पर बड़े पंमाने से खेती बाड़ी करने की ज़रूरत झनुभव की गई तो बोल्शेविक सरकार को बहुत दिकतों का सामना करना पड़ा । रूस मे उन दिनों भीषण काल फैला हुआ था । लोग भूखों मर रहे थे । व्यापार व्यवसाय लेन-देन सब चौपंट हो गया था । उधर जमेंनी हर समय रूस पर आक्रमण करने की घमकिया दे रहा था । लाचार हो कर लेनिन ने रूस के अनेक उपजाऊ ्ौर सम्रद्ध भाग जमंनी को देकर उस से सन्धि कर ली । लेनिन क सोभाग्य स उस के थोड़े ही दिनों क बाद जमेनी हार गया और उस सत्धि की कोई भी शर्ते व्यवहार में नहीं लाई जा सकी | इचेत जातियों से संघष इस के बाद मित्र-रष्ट्रो ने रूस को परेशान करना शुरू किया | लेनिन जमनो के साथ सन्धि करने को तत्पर था इस से मिंत्रराट्र रूस को अपना शत्रु समकने लगे। रूस में जो बोल्शेविक सरकार स्थापित हुई थी उसे मित्रराष्ट्रो की पू जीप्रघान सरकारें अपने लिए खतरे का कारण सममती थीं इस कारण्‌ भी रूस के शत्रु्मों की सख्या _ बहुत बढ़ गई । रूस में झंप्रेज़ों और फ्रन्च लोगो ने जो रुपयों व्यवसार्य में लगाया था वह सब का सब खतरे में पड़ गया । मित्रराष्ट्रीं की सेनाएं महायुद्ध से निपंट ही चुकी थी । इन सब कारण से मित्रराष्ट्रो की ्मनेक




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