मानव का उज्जवल भविष्य | Manav Ka Ujjwal Bhavishya

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Manav Ka Ujjwal Bhavishya by विधा भास्कर - vidha bhaskar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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জু ५ सेर सष ग्रौर अज तक प्रति कसते उमे करीव बच हजार दपं से । अगला वण था मोटर गाड़ियों और हवाई यहाओं का | इस तक पहुँचने में करीब एक़ सो सात्र बे ग्रौर उप्रे गला रण था परमाणु युग का जहाँ बह केवह «४० वर्ष में ही पहुँच गए शोर उत रम सूतम युग तङ हैके में केवल बारह सात लगे। सब्र व्यवस्था ईें हुई अताघारए प्रगति से जानकारी के ग्रदानजदान और राको कहर प्रे परा रौ मि युत य गौ टै उदर तेर एखन मधो दूनिया पें कुँने जिसे बाद में गमेरोका नाम दिया गया, तो बहुत कम शोग झट प्त को जल पृ] समो वाद फलम ने सोचा कि अमेरीका को शोष सवे ঘি জীবনী বু বুনি त प्रतर $ नप कुमा में वाते त पला फ समायार ततय वारौ दुतिय भ पपा । 8 বানাব ন সিম ভা নী ग्रीवा कौ ज्यौ दुतिया का चक्कर हगा तिया। जो सब्देह करे है उर्ें इतिहाए ते फी कणा कहौ मिषा है। जो जि पत रकौ बालौ रत कौ सम्मा पर हृ दिया था क्योकि वह समता था ছি মত দা গা ২০ মী ऐौधंटे की रातार शो पा गहों कर एतेषा 'रलु जब वह पह कहें रहा था उसी समय वह इससे कई गुना अधिक रार्‌ से यात्रा कर रहा था। वह उन ग़म तेन रफ्तार से पुमतेवाती धरती दो सतह एर झा था। यदि वह पमष्य रेखा के समीप था तो उपकी रफ्तार कम से कम एक हार परह प्रति धय भ | হন অন নী দি সনি কা সন কিয়া জানা সানি पर्त म यह्‌ वा श्रव सट होती था रही है कि पह एत प्रयाति और पानी रा दै । वार बरत भे शरगापी रोता है। हमने अपने पर रूप जो मागि प्रतिभ ता वे ह यदि एक वार वे टू नायँ तौ इमाधाररा दे हे कहै । मुय कपौ मलौ कौ तद्ध यर कला है। ष मम्ब মনে নানী মমিন है । चव यत्य के सात़ाद में से নী की दीवार फो हश दिया शया तौ मदत मे না आगे बहने से इकार कर दिया नहाए द कमि कौ दीवार घर । चव वृको ख दगा फो तोर ५ মী আর হব দন দিয়া খা তীর বানা ঈ ও हिस्से का इस्तेपान करता शुह किया । शिर रत्ति जाने ये जया बाप ? क्या क्षेदह प्रपनो बिजाज़ को म र तए? क, यशि सपे निरा कहा बाना दरे य न्‌ शृणो क स्मवेश है लै, यौ वात बतत जो लाता, चान प्रप कर आगे कहने कच्छा)




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