गोर्की की श्रेष्ठ कहानियाँ खंड - १ | Gorkee Ki Shresht Kahaniyan Khand - 1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.94 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रांगेय राघव - Rangeya Raghav
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)्न्न न व कु की
ये चाय कद चना बन न जन जा जि ना ना बा बा की में गिल का न न जग न कि का गा गा गाणणत हज
कौन सिस्का ? मैं दिसी सिर्का को नहीं जानता . सुम यहाँ से
भाग जाशो, भाई. वर्ना यदि गोदाम के सन्य्ी ने तुम्हें देख लिया तो
ये: ::.+
पद लाल यालों वाला श्ादमी जिसके साथ पिदज्ञी यार मेने
रोस्ट्रसा में फाम किया था 1”
प्यह जिसके साथ तुम चोरी करने जाया करते थे, वही न 1 वे
तुम्हारे उस सिश्का को ग्ररुपताल ले गए । उस दुघटना में उसको एक टॉग
टूर गई थी । ध्रच्ढा हजात ध्रय शाप यहाँ से चलते वनिये याय तक कि
मैं भले ८ एएमिरयों की तरद से कह रद हूँ वर्ना श्रभी गदन में घदका देकर
निकाल दू. गा”
“यह बात है श्ौर तुम कह रहे थे कि तुम प्िरका को नहीं
शानते । चदरदाल तुम उसे जानते तो दो । अच्छा, तुम इतने उरजित
फिस बात पर दो रदे हो , सेसियोनिच ?
“ग्रब्ठा, भच्छा मुक्के वारठों मैं फंताने की कोशिश मत फरो ! भाग
जाशों यहाँ से, में तुम से कई देता हूँ 1!
सिपाही फ़रुद षो उड़ा था । चारों तरफ देगते हुए उसने चेनकस
को पक से झपना प्राय छुड़ाने का प्रययन किया । परन्तु घेलकश अपनी
घनी भौंही कै नीने से ध्पारिति पूरक उसकी अर देखता रद! पर उमसफा
दाय 'घौर सनदूसी से पफद़ कर कसा गया:
'नुझे धपका मत दो ! में धपनी पूरी यात कह कर 'घला जाऊं गा !
अप्पा 'पय यह धसारी कि सुम्दारे दिन ससे कट रहे हैं । थाल बच्चे ठीक हैं
मे घमसतों चपॉर्घों पर प्यंग्य के साथ हंसते हुपे उसने फटा, मैं
यह॒न दिनो से तुम में मिरना पाए रहा था परन्तु इधर पहुत ब्यरठ रहा--
सर सोने से...
*यष्दा, सर्दा ! यद मय धफयास धन परो ! घपने सफाफों को
रने दो. मौपान । में सुस्यारी स्योपढ़ी सर्म फर दुसा घगर सुम मरहीँ गए
सो , या ' सम नुस्यापा हरदा सइकों मौर मझानों में चरी यनने का है 7!
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