तर्कशास्त्र आगमन | Tarak Shastra Aagaman

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Tarak Shastra Aagaman by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तकशास्त्र-झागमन २३ पूर्ण आ्रागमन कहलाती दहै।. जव मैं अपने वगीचे के प्रत्येक शुलाव का निरीक्षण करके उसे लाल पाता हू और तढुपरान्त यह सामान्य कथन करता हू कि मिरे वगीचे के सब शुलाव लाल हैं, तो यह पूणण श्रागमन है। जब में किसी समूह के प्रत्येक व्यक्ति को माप कर उसे छ फुठ से कम लम्बा पाता हू श्रौर यह कहता हू कि “इस समूह के सब व्यक्ति छः फुट से कम लम्वे हैं, तो मेरा अनुमान पूर्ण आगमन है। पूर्ण आगमन विशेष दृ्टान्तो की पुरी गिनती का परिणाम होता है। जेवन्स (८४०75) कहता है, “श्रागमन पूर्ण तव कहलाता है, जब सभी सम्मावित दृ्टान्‍्तो की, जिनसे निष्कर्ष का सम्बन्ध हो सकता हैं, परीक्षा और गणना आआधारवाक्यों मे कर ली जाती है” ( एलीमेंटटरी लेमन्स इन लॉजिक, प्र० २१२-१३ ) । यह पूर्ण इसलिये कहलाता है कि इसमे निष्कर्ष के वारे मे पूर्ण निश्चय होता दै। निप्कर्ष के संद्य के यारे में शंका करने की कोई रुजादश नहीं रहती, क्योंकि यह सभी विशेष दृष्टान्तो की पूरी गणना पर आधारित होता है। पूर्ण आ्रागमन केवल तभी सम्भव होता है जब वर्ग सौसित होता है-- जब वर्ग मे भागों की सीमित संख्या होती है, जिनकी परीक्षा आर गणना की जा सकती है। लेकिन जब वर्ग के भागों की सख्या द्रनन्त होठी है तो हम उन्हें न गिन सकते हैं न सबकी परीक्षा कर सकते हैं, ओर फलतः पूर्ण झागमन पर नहीं पहुच सकते | ः स्कलॉस्टिक तफंशास्त्री श्वपू्ण आगमन उसे कहते हैं, जो सामान्य वाक्य के चेत्र में आ्रानिवाले कुक ृ्टान्तो की परीक्षा पर आधारित होता है। जेवन्म भी उस द्यागमन को पूर्ण कहता है, जिसमे सब इष्टान्तों की परीक्ता करना आ्रसम्मव होता है। पूर्ण आगमन में ज्ञात से अज्ञात की




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