हम्मीर रासो | Hammir Raso

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Hammir Raso by जोधराज - Jodhraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श७ समय शिवाठ्य में आकाशशणी हुई कि हे हम्मीर तुमसे ओर अछाउद्दीग से १२ वर्ष पय्यन्त संग्राम होगा ततश्वाद आपाढ़ू सुदि ११ को थाका पूर्ण होगा जिससे संसार में चिर काठ तक तुम्हारा यश बना रेदेगा । शिव जी से इस मकार वर्दान पाकर राव नी ने मसत्त होकर अपने समस्त सर वीर सरदारों को युद्ध के छिये मन्नदद होने की आज्ञा दी । उसी समय हम्मीर के चाचा राव रणवीर ने जो छाडगद के फिले के स्त्रामी थे हम्मीर से कहा कि श्रीमादू समा करें इस समय मेरे दाथ देखें । इघर हम्मीर जी का पतन पति है। जटाउटूदीन दछ पीछा सा हो उठा और उप्ती समय रणयम के किले पर चासे ओर से गोड़े और वार्णों की वर्षा करने की उसने आशा दी । बादशाद की आज्ञा पाते हों सेना नापक महम्मद अढ़ी रणयम के अजय दुर्ग को पति के छिये प्रयस्न करने ढगा। इयर में राव रणबीर ने भी छि़े की बुरी पर में अस्विवर्षा करने की आशा दी ओर आप कुछ सेनिकों सहित मुसल्मानी सेना में वह इस मकार से दैस पडा नैसे भेडों के समूह में अेडिया पैंसता हे । निदान पहिली वरणी राव रणबीर और मुहम्मद अढ़ी की हुई निते राव जी ने एक्डी हाय में दो कर दिया । यह देख कर उसका पीठि नायक अनमत खा राम जा के सम्मुख आपा किन्तु राय रणपीर ने उसे मी मार गिराया । अजमृत खा के गिरते ही सेना के पैर उखड़ पढ़े । इस युद्ध में मुम ल्मान सेना के अस्सी हनार अस्त्रवारी खेत रहें और राव रणधीर के कवठ एक हमार जवान मारे गए । महम्मद मीर के मारें जाने पर जब मु्ल्मानी फोन भागने लगी. तत्र अछाउद्दीन ने वादित खा को सेना नायक बनाया । वादित खा ने बड़े पैय्य ओर दृढ़ता से उत्तेंगना . जनक वाक्य कह कर विसरी हुई फौन को बसोर कर राजपूत बार




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