महाभारत अठारह पर्वों का सम्पूर्ण कथा भाग | Mahabharat atharah Parvon Ka Sampurn Katha - Bhag

Mahabharat atharah Parvon Ka Sampurn Katha - Bhag by पंडित ईश्वरी प्रसाद शर्मा - Pt. Ishvari Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र्‌ श१--झर्सुननयन-वास स्क च्न् २२--सागदवन्चन-दाह हि समा-पव २२--यजका विचार डा भश-यननका पारमभ की २प--थिशुपाल-वच रद-दुर्योधनकी ईर्ष्या र४--सर्वेनाशका सूत्र-पात न२८-दापदी-वख्-इरण भ६- पागडवनवननवास ३८-पायडव-प्रतिज्ञा मन. चन-पवे ३१--किम्मीर-वघ मी हक इ२-कासाकी जय कद जप 3३--श्रजुनकी तपस्या न का ३४--शिवाजुन दर कि ३४--र्सुनका स्वर्ग-प्रस्थान ्द कि इू-कमलकों कथा न ् २७--जटाएर-चघ अथ कस ३८--कुवेर-विजय मर ००० ३६--भीमपर विपत्ति हु कि 2०-दुर्योधन-वन्ध-मोक्ष कि ४2१-द्रोपदी-दरण लिन इ२--धर्मराजका महत्त्व उस बिरार-प॑ ४३-सज्ञात-वास डक ४४--कीचकका झ्रत्याचार कस च इु्--कीचक-वघ सक् नम टू--ब्रिगचे-पराजय कक कर ४७--घ्जुनका पराक्रम मम बन ४८-पाएडव-प्रका्श गा कक ४६--उत्तरा-परिद्यय कर्म ज बिषय-सूची । दि मन छ्ग्‌ छ् छ्प द्ठ न प्‌ बम | नल प्‌ नम €्श्‌ ३ कब ७ १०० मर श्च्ष्े न १०४ न्ध् श्ण्दू श्ध्घ नर न. है कब श्र्र्‌ श्श्दे ण्न १६ पक श्र न्न्न श्द७ बग श्इ्‌्० अर श्३्१ भा श्र ०० श्द्७ अर १४४ रन शरण




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