आर्य समाज क्या है ? | Aarya Samaj Kya Hai ?
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.51 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पदला अध्याय । श्श विद वी वि लिए निर्भीकता के साथ मूर्ति के ऊपर इधर-उधर घूम करके मज़े से प्वढ़ावे की वस्तुएं चखने लगा स्वामीजी इस घटना को देख कर चकित हो गये कि यह कैसा शिव है कि जो चूहे से भी छापनी रक्षा नहीं कर सकता । पिता को जगा कर झपना सन्देद प्रकट कर दिया किन्तु उत्तर डाँट- डपट फे सिदाय कुछ न था । इस घटना ने# स्वामी जी की ाँखें खोल दीं श्ौर देवी देवता की पूजा के नाम से ईश्वरो- पासना की जो सिट्टी पलीद॒ की जा रही थी उसका उन्हें पूरा ज्ञान हो गया था । द इस घटना के छुछ काल बाद स्वॉमीजी की एक दूसरी घटना प्रिय सगिनी श्योर चाचा की ( जो स्वामी जी द को बहुत प्यार से रखता था ) थोड़े थोड़े अन्तर से सत्यु दो गई । इन घटनाओं ने सत्यु का श्रश्न भी स्वामी जी फे सामने रख दिया और वदद सोचने लगे कि सत्यु कया है और किस प्रकार सपुष्य इसपर विजय पाकर सृत्युंजध हो सकता है+ । इन दो घटनाओं से स्वामी जी को काफ़ी योगाभ्यास और शिक्षा मिल गई और उन्होंने जीचनोदेंश्य की तपस्वी जीवन. सिद्धि के लिए पेवृक सम्पत्ति पर लात मार कर प्राचीन विश्वविद्यालयों की छोर के सर सय्यद मद ने इसी घटना का उल्लेख करते हुए लिखा है कि यद्द श्लद्दाम नद्दीं था तो कया था ४ ..... न गौतम चुद्ध ने पहली वार जब एक शव को इमशान थूमि में स्लि _.जति देखा तो उसके सामने भी यह स्त्यु का श्ररन उपस्थित हु था श्र उसे गृदद-त्याग के लिए विवश किया था |
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