गायत्री तंत्र | Gayatri Tantra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( श्र ) युणाषबारा चिभड़ी तह्ठुचारि: ; थात्कारी थारचाथातां दोदिनी चीन चत्सला ॥ ७४ ॥ दानचांतकरीडुगा डुग्पंखुर नि्वाद्दिणी , देवराति 1दूचायाओं ट्रापदों डुन्डाभस्वना ॥ ७५ ॥ देचयानां उएपचासा दारिद्वय भेदिनीदिया , दामोद्र घियादीपा दिग्वासा दिग्विमीहिंनी ॥७9६॥ दण्डकारण्य निलया दृण्डिनी देवपूजिता , देवयन्यादि चिपदा ड्ेपिणी दानचा छातिः ॥ ७७ ॥ दीनानाथ स्तुत्तादीक्षा देचतादि स्वरूपिणी , घानीघननु धेराघेजु घोरिणी घमेचारिणी ॥ ७८ ॥ घुरन्घरो घराघारा घनदाधान्य दोहिनी घमव्पीक घनाध्यक्ा घन्नवेद विशारदा ॥ ७६ घतिधेन्या भतपदा घमराज' प्रियाघुवा ; छूमावती धूमफेशी घमदशास्त् प्रकाशिनी ॥ ८० ॥ नन्दानन्ट प्रियाचिद्रा चूछुतानन्द चात्मिक्ा ; नमेदा नलिनी नीला नीलकंठ समाश्रया ॥ ८१ ॥ नारायण प्रिचानित्या लिमेला नियुणानिधि: , निराघारा निरूपमा नित्य 'झुद्धानिसझ्ना ॥ <२॥ नादचिंदु कलातूंता नादचिंदु कला- स्मिका , चुसिंदिनी नगधघरा दूपनाग विभ्रुविता ॥ <३ ॥ नरेक- झ्लेच घामनी नारायण पदोद्ध॑ंचा , निरचच्चा निराकारा नारद प्रिच फारिणी ॥ पे ॥ नाचाज्योति: खमाख्याता निधिदा नि्मेछात्मिचों , नचसूत्र घरानीति लिसुपट्रचकारिणी ॥ <५ ॥ नस्दजा नचरलाख्या नेमिपारण्य वाखिनी ! नवनीत प्रियानारी नीछजीं मूतनिःस्वना ॥ <द | निमेषिणी नदीरूपा नीलग्रीवा चिशीश्वरी । नामावालिसियुम्सघ्वी नागलोक निचासिनी ॥५७]॥] नवर्ज्ञाचूनद प्रख्या नागलोकाधि देवता । चूपुराक्नांत चरणा नरचिस प्रमोदिनी ॥ पं८ ॥ निमझी रक्तचयना निर्धघात सम निस्वना 1 नंदुनोद्यान निलया निव्यूंदों पारि. चारिणी ॥ <६ ॥ पायती परमो दारा पंर घ्नह्मात्मिकापरा । पेंचकोश विनिसुक्ता : पंचपातक नाशिगी ॥ ९.० ॥ परचिक्न चिधानक्ञा पेचिका पंच रूपिणी 1 एूर्णिमा परमा धीतें:” परतेजः प्रकाशिनी ॥ ९ ॥ पुराणी पोरुपी पुण्या पुण्डरीक निभेक्षणा । पाताल तल नि ' झा प्रीतापीति विवर्धिनी ॥ <२ पाचनीपांद सबिता पेदालापव नाधिनी । प्रजापाति: पांरिश्रांता पचतस्तन मंडला ॥ ६ुइ ॥ पद




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