स्वास्थ्य के प्राकृतिक साधन | Svasthya Ke Prakrtik Sadhan
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.42 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वास्थ्य नष्ट होने के कारण ५
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परिश्रम और न्यायाम
स्तरास्थ्य के लिए शारीरिक परिश्रम अत्यंत आावश्यक है ।
जो परिश्रम करने के अभ्यासी नहीं हैं अथवा यों कद्दा जाय कि
जो परिश्रम नहीं करते; चाहें वे वालक चाहे युवक और चाहे वे
वृद्ध हों, उनका स्वस्थ और नीरोग रददना असस्भव है। यद्दी
कारण है कि जो सस्पत्तिशाली परिश्रम नहीं करते; वे सदा
के लिए अपने स्वास्थ्य के खो देते हैं । विना परिश्रम के स्वास्थ्य
की रक्ता नहीं हो सकती । अनभिन्ञता के कारण प्राय: अधिकांश
स्त्री-पुरुप परिश्रम करना अपने लिए अपमान सममते हैं । यह
उनकी वहुत बड़ी सू्खता है। इसका परिणाम यरह्द होता है कि वे
थोड़े समय के पइचात, स्वास्थ्य के लिए रोते हैं और पढताते हैं ।
स्वास्थ्य के नष्ट होने का तीसरा कारण परिश्रम न करना हैं ।
परिश्रम न करने के कारण ही अमोर घरों के लड़के और
लड़कियाँ; री और पुरुप स्वास्थ्य-दीन और रोगी दोते हैं ।
परिश्रम करने के कारण ही- गरीब लड़के-लड़कियाँ; ख्री-पुरुप
स्वस्थ; शक्तिशाली और नीरोग होते हैं । अमीर घरों में पालन-
पोपण पाने वाली और सुख तथा आमोद-प्रमोद में रहने वाली
युवतियाँ अपने युवाकाल में दी घुढ़ापे के प्राप्त हो जाती हैं; किन्तु
जो गरीव, मजदूरी करने वाली युवतियाँ दिनभर परिश्रम करती
५ बस
हैं निघत और गरीब दोनेपर भी, उनके शरीर में स्वास्थ्य और
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