ना कथाकोश भाग 1 | Na Katha Kosh Bhag 1

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Na Katha Kosh Bhag 1  by उदयलाल काशलीवाल - Udaylal Kashliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भव्य-पुरुपरूपी कमलेंफके प्रफुलित करनेके लिये सूय हैं और कोक तथा अढछोकके प्रकाशक हैं-जिनके द्वारा संसारकी वस्तु- मात्रका ज्ञान होता है, उन जिन भगवानको नमस्कार कर में आराधना कथाकोश ना- मक ग्रन्थ लिखता हूं । उस सरस्वती-जिनवानी-के लिये नमस्कार है, जो संसा- रके पदार्थोका ज्ञान करानेके लिये नेत्र है और जिसके नाम- हीसे प्राणी ज्ञानरूपी समुद्रके पार पहुँच सकता है-सर्वज्ञ हो सकता हैं! उन मुनिराजोंके चरणकमछोंको में नमस्कार करता हूं, जो सम्यग्द्शन, सम्यग््ञान और सम्यक्चारित्ररूपी रलनोंसे ' पवित्र हैं, उत्तम क्षमा, मादव, आजव, सत्य, शौच, ब्रह्मचय आदि गुणोंसे युक्त हैं और ज्ञानके समुद्र हैं ।




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