भरतेश्वर - बाहुबलि रास | Bharateshwar - Bahubali Ras
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.03 MB
कुल पष्ठ :
503
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४] भारतीय विधा & अजुपूर्ति & [वर्ष रै
खर रवि पूंदीय मेहरवि, महियलि मेहंघार हु ।
उजूआठइ आइध तणईं, 'वालईं शयखंघार हु ॥ दै७
मंडिय मंडलवदद न मुद्दे, ससि न कब सार्मत हु ।
शाउत राउतवर रददीय, मनि मूंझाइं मतिबंत हु ॥ भेद
कटक न कंचणिहिं: मर तणु, भाजइ भेडि भडंत हु ।
'रेलईं स्यणायर जमले, राणोराणि नमंत हु ॥ ३९
साठि सहदस संचच्छरदं, भरइस भरद छ संड हु ।
समरंगणि साध सधघर, बरतइ आण अखंड तु ॥ ०
वार चरिस नमि विनमि, भड सिडीय समनादीय आण छु ।
आघबाठी तडि गंग तणइ, पामइ नव निद्दाण हु ॥ ४
छन्नीस सहस मउडुघ सिउ॑, चऊद रयण संपत्त हु ।
आविष गंगां भोगवीय, एक सहस बरसाउ हु ॥ ४९
जः
ठवणि २. तर तिहिं आउधसाऊ, आवइ आउघसड नदि ।
तिणि सिणि सणि भूपाउ, भर भयह उोठावडओ ॥. ४३
चाहिरि बहुय अणाढि, ज्ुआरीय अदनिसि करइ ए ।
अति उतपात्त अकाछि, दाणव दछ बरि दापच ए ॥ ््े
मतिसागर किणि काजि, चक्त त(न) पुरि परवेस करइ ।
तई जि अस्हारइ राज, घोरीय घर घरीड घरदइं ॥ शव
देव कि थंमीउ एय, कवणि कि दानव मानविद्िं
एड जासि न मुझ भेउ, चयरीय बार न छाईइ ए ॥ 2
वोलइ मंत्रिमयंकर, सांभलि सामीय 'चक्कघरो ।
अर नहीं फोइ चंकजु, 'चक्कर्यण रहा तणउ ॥
संकीय सुरवर सामि; भरदेसर चूंय भूय भवणे ।
नासई ति सुणीय नामि; दानव मानव कहि कबणि ॥। ४८
नवि मानई तूंय आण, चाहूबलि विहुं वाहुवले ।
वीरदद चयर दिनाशु, विसमा विददडई बीरवरो ॥
ठीणि कारणि नरदेव, चकक न आवइ नीय नयरे ।
दिण वंघब दूंय सेव, सहू कोइ सामीय साथवइ ए ॥
४९
५५
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