पाश्चात्य दार्शनिक प्लेटों से कामू तक | Pashchatya Darshnik Pleto Se Kamu Tak
श्रेणी : पश्चिमी / Western
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.38 MB
कुल पष्ठ :
153
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रतः राजा ही नहीं, उसके सभो भ्रघिकारी रात दिन ज्यामिति सीखने
लगे। जमीन रेखाश्नो से काली हो उठी । परन्तु राजा को ज्यामिति समक
में नहीं भाई ग्रौर झपनी असफलता का रोप वह प्लेटो पर उतारने लगा ।
इंघर प्लेटो के विरोधियी ने एक नया दार्शनिक ला खड़ा किया
जिसने कहा कि भ्रनियत्रित शासन ही सर्वोत्तम होता है शरीर वह गणित
के बिना ही श्रच्छी तरह चलाया जा सकता है। दशा इतनो ज्यादा खराब
हो गई कि प्लेटो को एक रात चुपचाप महल से भागकर टेढे-मेढे रास्ते से
एथिन्स ्राना पडा । कुछ लोग यह भी कहते है कि राजा ने प्लेटो को
गुलाम बनाकर बेच दिया श्रौर इस प्रकार प्लेटो दाशंनिक शासक तो नही
बने पाया, दाशेनिक गुलाम जरूर बन गया |
जो हो, कुछ समय वाद डायनीसियस प्लेटो से प्रसन्न हो उठा भ्ौर
एक पतन लिखकर श्रपनी भयकर भूल की क्षमा माँगी तथ! श्रपते विपय में
पुर्नावचार करने की प्रार्थना.की । इस बार प्लेटो ने उसकी उपेक्षा की
शरीर कहा--मैं श्रपने चिंतन में व्यस्त हूं । मेरे पास प्रार्थना पर विचार
करने का समय नहीं है ।
एथेन्स मे उसकी “श्रकादमी' चल ही रही थी ! वही रहकर प्लेटो
लोगो को श्रपने दशन की शिक्षा देने लगा । समग्र इतिहास का यह श्रत्यन्त
महत्वपूर्ण स्कूल है जो एंक हजार वर्ष तक चलता रहा। एथेन्स से मील
भर दूर एक जिमनिज्ियम में इसकी कक्षाएं लगती थी। दाहर में उन
दिनो तीन जिमनेजियम थे, जिनमे सेल-ऋूद तथा नहाने-घोने की इमारतों
के श्रतिरिक्त ऐसे बगीचे भी होते थे जिनकी भाडियो तथा पगडडियो पर
लोग चलतै-फिरते या बैठकर पढ़-लिख श्रौर वहुस-मुबाहसे कर सकते थे ।
प्लेठो के जिमनेजियम की इस तरह को भकाडियों को अझकादेमस की
भाडियाँ कहा जाता था, जिससे उसका नाम “पझकादेमो” या “ग्रकादेमिया”
पडा । यहाँ जो चाहता, घिना फीस के श्रा सकता था, श्ौर वडे झामोद-
प्रमोद के साथ शिक्षा पाता रहता था । सभी विपयो पर प्लेटो की बात
चोत चलती थी शोर फिर वह लिख ली जाती थी !
घ१ वर्ष की श्रवस्था मे प्लेटो श्रपने एक युवक मित्र के विवाह में
सम्मिलित होने गया । वहाँ उसने कुछ बेचैनी का प्रनुभव किया भ्ौर थोड़ी
देर झाराम करने के लिए वह भीतर जाकर लेट रहा । यह उसकी अन्तिम
निद्रा थी । बाहर वाजे बजते रहे ग्रौर भीतर यह बूढ़ा दार्शनिक चिर्
निद्रा मे सो गया। (9
प्ले श्र
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