प्राणि- शास्त्र . | Prani Shastra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रहते थे भ्रौर हायों से इस माने में भिन्न थे कि उनके शरीर पर भोटा बालदार कोट-सा हुआ करता था। मंमय श्र कई भन्य फ़ोसिल प्राणी बहुत प्राचोन समय में रहते ये लेकिन भागे चलकर लोप हो गये - विल्कुल फ़न जेसी वनस्पतियों को तरहं जिनके फ़ौसिलीय प्रयशेद कोयलों में पाये जाते है। ग़रख पह कि प्राणि-जगत्‌ सदा से देसा ही नहीं रहा है जेसा यह श्राज है। जो सोग कहते हैं कि श्राणों झपरियर्तनीय है वे ग़लत है। विज्ञान ने यह सिंद्ध कर दिया है कि घरती पर का प्राणि-जगत्‌ परिव्िंत भौर परिवद्धिंत होता धाया है। प्रस्तावना के दाद हम विभिस्न प्राणियों का श्प्ययत करेंगे। केवल माइग्रोस्वीप द्वारा देखे जा सफकनेवाले बिल्कुल सरल प्राधियों से भारम्भ करते हुए हुप थंदरों जेंसे सबसे सुसंगदित भ्राणियों तक पहुंचंगे। भष्ययन के इस ऋम से हमें ग्राणि-जगतू का परिद्न-क्रम समझ लेने में सहायता मिलेगो। कौनरों वासरयान में रहते है? २. इन प्राणियों का भोजन बया है? ३. तुम्हारे सशोव प्रकृति-संप्रहू में भौनते भ्राणी हूं भर वे बयां लाते हैं? ४. पाद्यफ्रम में बर्णित प्राणियों के भ्रलादा झौर कौनसे धन्य प्राणियों को सुम जानते हो? बे पहां रहते हूं भौर दया खाते हैं? ग्रश्न- हैं. सफेद भालू भूरे भालू गोफर पर्च-मछली भौर कंचुए २- प्राणि-शास्त्र का. महत्त्व बहुतनते प्राथों भर विशेषकर घरेलू प्राणी (गाय भेड़ें सूप्रर मुर्यां इत्यादि) उपयोगी होते हूं। थे प्राणी हमें लाध-पदार्य (मांस दूप कई) भोर धपडों हथा जूतों के लिए कच्चा सास (ऊन प्ाहतिक रेशम फ़र लमहा) देते हूं। धोड़ों गरहों बसों झौर भंसों का उपयोग यातायात भौर मतों के काम में दिए जाता है। धर धन्य प्राणों भो उपयोगी होते हूं। मदलियों घौर बुछ दाय पश्चियों (अतवों हंसों) का मांस साने में प्रयोग क्या काना है। फरदार ध्र्यों (विल्ुरियों लोसड्यों रूदतों) से हमें परम एुध्सुरत हद बनकर




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