देश - दर्शन | Desh Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
43.5 MB
कुल पष्ठ :
183
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१०. )
रसायन काफ़ी मात्रा में होते हैं । यूरोर में कंट्टीं ऐसा छुरड होत
तो यहाँ स्नान के लिए स्थान और सफाई का प्रबन्ध होता : लेकिन
यहाँ पर ाम तौर पर पहाड़ी औरतें झपने कपड़े घोती दीखती हैं
उनी कपड़ों के लिए ऐसी बढ़िया * लाणड़ी * ओर कहाँ मिलती ?
“ न्द ८
मनारली या मु यह नास मुनाल नामक पच्ची से पाया, जो.
यहाँ बहुतायत से होता है । हिमालय की फ़ेजेन्ट ([ऐ:8 000) जाचि
का यह पच्षीं अत्यन्त सुन्दर होता है । इसके सम्बन्ध में यहाँ के लोगों
में कइ किंवदन्तियाँ भी सनने में श्ाती हैं ।
लेकिन समवल भूमि पर रहने वाले लोग मनाली को वहाँ के
सेबों के कारण हो जानसें हैं| सेब और नाशपाती के लिए सनाली
शायद संसार में सब से बढ़िया स्थान है । यहाँ के फूलों के सम्वन्ध में
कोर बेज्ञानिद छानुसन्घान नहीं होता, न उस ढंग का संगदित काम होता
है, जैसा कि छररिवा के केलिफोनिया आदि फलग्रद इलाकों में
फिर भी यहाँ के सेब यहाँ के बर्गू ( एक विशेष प्रकार को नाशणाती
ब्ौर यहाँ के गिर स (एल) अपना सानी नहीं रखते । सिफ़े मीठे
को ही स्वाद रिनसे वाले लोग काश्मीर के अमरी सेबों को पसन्द करते
हैं ; लेकिन घुल के खटसिट् खरता सेब, जो मनातली में होते हैं, अपने
विशेष स्वाद अर खुशबू से जा अपू्वे रस पैदा करते हैं, उसकी तुलना
किसी चीड़ा से की जा सकर्त! है, तो अनिवचनीय काव्य-रस से ही 4
अभी हाल में कुछ ध्यान अन्वेपण और प्रयोग की ओर भी जाने लगा
_ है, और इसका एक परिणाम यह हुआ है कि जापानी पर सिमन यहाँ
पर पदा हरे लगा है | कहते हैं कि शीघ्र ही मनाली का 'जापानी
फल जापान कर मात कर देगा
मनाल्नी की दो बस्तियाँ हैं । एक सो बाहर से झावर बसे हुए
_ ज्लोगों द्वारा बनाए हुए बेंगलों ब्यौर बाज़ार वाली बस्ती, जो दाना
कहलाती है, और दूसरी उससे क़रीब मील भर ऊपर चल कर खास
_ मनाली गाँव की | मोटर दाना तक जाती है। दाना से सड़क फिर
न्यास नदी पार करके रोहतग को जात ( 701४ 055 सं होकर...
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