जातक खण्ड २ | Jatak Part.ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
72.11 MB
कुल पष्ठ :
488
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[१४.३
विषय 1. युष्ठ
१७०८ ककण्टक जातक नि नि «३.
कक
करे
[ यह कथा महाउम्मग जातक (५४६) में है। |
३. कल्याणुधम्म वर्ग रेप:
१७१, कल्याणधस्म जातक . . द २१४
[ प्रब्जित न होने पर थी घर के सालिक को प्रब्रजित
हुआ समक्त सभी रोने पीटने लगे। घर के सालिक को
पता लगा तो वह सचमुच प्रन्नजित हो गया । |]
१७९. दहदर जातक नि जग 3 कुछ:
[ नीच सियार का चिल्लाना सुन लज्जावश सिंह चुप ं
होगए।] .. ं का
१७३. सक्कट जातक... ... “रा एस 0 7९ मे
[ बन्दर तपस्वी का भेष बनाकर श्राया था । बोधिसत्त्व ने
४, उसे भगा दिया । ] किन सदमे कु या
१७४. दुन्बभियमक्कट जातक ... ,..... ... .. ड २९३ हक
.....'. [तपस्वी ने बन्दर को पानी पिलाया। बस्दर अपने मय
.......... खपकारी पर पाखाना करके. गया । |] मलिक
'.. १७४५. झादिच्चुपट्वान जातक... . . मम
रु [बन्दर ने सूर्य्य॑ की पूजा करने का ढोंग बनाया 1] कक
१७६. कठायमुद्ठि जातक... रुप...
.......[बन्दर का हांथ भ्ौर मुँह मटर से भरा था, किन्तु बहु
दर उन सब को गवाँ कर केवल एक सटर को खोजने लगी 1) जि
१७७. तिस्डुिक जातक... ...... एच ०:
फल खाने जाकर सभी बन्दर फंस गए थे । गांव वाले
उन्हें मार डालते । बोधिसंत््व के सेनक नामक भानजे ने
| अपनी बुद्धि से सबको बचाया । हक हि हक
१७८ कच्छप जातक... .... ं पर
ं [जन्मथूमि के मोह के कारण कछुवे की जान गई ।.]
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