जातक खण्ड २ | Jatak Part.ii

Jatak Part.ii by भदन्त आनंद कोसल्यानन- Bhadant Aanand koslyanan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१४.३ विषय 1. युष्ठ १७०८ ककण्टक जातक नि नि «३. कक करे [ यह कथा महाउम्मग जातक (५४६) में है। | ३. कल्याणुधम्म वर्ग रेप: १७१, कल्याणधस्म जातक . . द २१४ [ प्रब्जित न होने पर थी घर के सालिक को प्रब्रजित हुआ समक्त सभी रोने पीटने लगे। घर के सालिक को पता लगा तो वह सचमुच प्रन्नजित हो गया । |] १७९. दहदर जातक नि जग 3 कुछ: [ नीच सियार का चिल्लाना सुन लज्जावश सिंह चुप ं होगए।] .. ं का १७३. सक्कट जातक... ... “रा एस 0 7९ मे [ बन्दर तपस्वी का भेष बनाकर श्राया था । बोधिसत्त्व ने ४, उसे भगा दिया । ] किन सदमे कु या १७४. दुन्बभियमक्कट जातक ... ,..... ... .. ड २९३ हक .....'. [तपस्वी ने बन्दर को पानी पिलाया। बस्दर अपने मय .......... खपकारी पर पाखाना करके. गया । |] मलिक '.. १७४५. झादिच्चुपट्वान जातक... . . मम रु [बन्दर ने सूर्य्य॑ की पूजा करने का ढोंग बनाया 1] कक १७६. कठायमुद्ठि जातक... रुप... .......[बन्दर का हांथ भ्ौर मुँह मटर से भरा था, किन्तु बहु दर उन सब को गवाँ कर केवल एक सटर को खोजने लगी 1) जि १७७. तिस्डुिक जातक... ...... एच ०: फल खाने जाकर सभी बन्दर फंस गए थे । गांव वाले उन्हें मार डालते । बोधिसंत््व के सेनक नामक भानजे ने | अपनी बुद्धि से सबको बचाया । हक हि हक १७८ कच्छप जातक... .... ं पर ं [जन्मथूमि के मोह के कारण कछुवे की जान गई ।.] व कक कि के कि किन मन . डी का मी ग जि ः पद नालमारवेवरकगक पिरफडटिटिियवरपनसेपकॉसिटरिटिानिटनटरपम्मनिनिास्थर पल थे दर मियटपयटसटर रेससिफर नरम, सदस्य दमन न डा दि क र कु दनरफुतकारट्रेरििनसलनि मतिदमद,




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