मुहूर्त चिन्तामणि | Muhoort Chintamani

Muhoort Chintamani by महीधर शर्मा - Mahidhar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ मुदूृतचिन्तामणि। । केतकी एष्पके टुकड़े रखनेसे द्िदत जेंसे प्रतीत इए. यह अद्भतोपमालंकार हैं और द्विपास्य एकबार ईुडासे पनः सुखसे पीनेवाछे हा्थीका है झुख जिसका ऐसा गणेदा विच्नका हरण कर ॥ १ ॥ उ० जा क्रियाकलापप्रतिपत्तिहेतुं संप्ितताराथविलासगभम अनन्तदेवज्ञसुतः स रागो शुहरुतचिन्तामणिमातनोति ॥ ९ ॥। क्रिया जातक आदि समस्त कायसशूहको प्रतिपत्ति यह काये अमुक दिनमें शुभ असुक्में अजुभ का हेतु कारणसूत एवं संक्षेप थोडे दाब्दोमे सार निष्कृष्ट अथेका विलास प्रकाश है गम अन्तर में जिसके अथांत्‌ सुदूत्तंग्रन्थ प्राचीन अनेक है परन्दु उनमें पाठ बहुत और हिथ्यादि विचारोंके पृथक प्रकरण है इसमें समस्त कायनिवाह थोडे ही दराब्दोसि एकरी स्थल दो ताहे इसछिए दिनशुद्धि विशेषके थद्ठा मुहूत दिनके पंद्रदवें थाग दो घड़ी उपछक्षित कारक चिन्ता झुभाशुभनिरूपणरूप विचारका मणि जैसे हीरा आदि समस्त कांहिसानोंके आधार है ऐसे हो समस्त सुहूतं दिनशुद्धि के आधार इस मुददततचितामणिनामक अन्थकों जगादरूयात अनंतनामा देवस ज्योतिषी का णुन्न रामंदेवज्ञ विस्तारित अथात्‌ विधिनिषेघके संनिवेद विधान का निरूपण करता है ॥ २ ॥ अचुष्टर तिथीशा वहिको गौरी गणेशोइदियडों रवि ॥। शिवो दुगाइन्तकों विशवे दरिः काम शिव शशी ॥ डे अथम पंचांगके शुभाशुभनिरूपणाथ तिथियोंके स्वामी कहते हूं-कि मतिपदा का स्वामी अभि एवं द्वि० ब्रह्मा ० पावती च० गणेश प० सपे घ० कार्ति केय स० सु अ० शिव न० ढुगां दृ० यम ए० पिंश्वेदेव द्वा० हरि अयोद० कामदेव चुद शिव पू० अ० चन्द्रमा है। इनके कहनेका प्रयोजन यह है कि तिथिका जो अधिपाति उसका पूजन उरसीमें होता है तथा उनके जैसे गण एवं कम हैं वेंसे ही प्रकार कतठव्य कार्यका झुभाशुभ परिणाम देते हें जेसे रत्नमाठा आदिककि वतिथिप्रकरणोक्त प्रयोजन है कि अहतिपदासें विवाह यात्रा ब्रतबदंध प्रतिष्ठा सीमंत चूडा वास्तुकम हमंवेश आदि मंगल न करना रन्दु यहां विशेषतः शुक्क प्र की है कृष्णमें उक्त कार्येमिंसे ऊुछ होते हें उनकी स्पष्टता आगे छिखेंगे. द्विर्तयामें राजसंबन्धी अंग दा चिह्दोंके कृत्य ब्रतबंध महिष्ठा विवाह यात्रा भषणादि कमें शुभ होते हैं हू तीयामें द्वितीयाकें उक्त कम और गमनसम्बन्धी कृत्य शिल्प सामंत चूडा अन्नप्राइन हमंवेदा भा झुभ दोव हैं. 1रक्ता ४। ९। १४ मं आम्रेकम मारणकर्म बन्धन




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