गाँधी सदाचार शास्त्र | Gandhi Sadachar Shastra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६२ 2 मर कर लीट न श्ावे और घताये 1 इस पिपय में प्रत्येक धर्म के सिद्धान्त फह्पना या मठ साय हैं इस पर परत्पर एक दूसरे से लड़ना मद्दामूरंता है । सब तक संसार दै मित्र मित्र विचार और तर्क इन विपयों पर रदेगे 1. ययार्य में संसार स्पयं एक पद्देली है जो अनन्त रददस्यों से मरी हुई और एफ समुद्र के समान है और संसार के सम्पूर्ण विज्ञान साइन्स की विद्या से प्रकृति के जितने रदस्य अभी तक मलुष्य जान पाये हैं वद ससुद में रिन्दु के समान दै। प्रत्येक धर्म के छाचाय्यों ने झपनी अपनी युद्धि के थनुलार संसार के रद्दस्योँ और पदेली की पूर्ति करने का झपने अपने समय में प्यन्न किया दै। इसीलिये मिन्न मिन भव और कल्पनाएँ हैं विचारों की स्वतंत्रता सबको द्ोनी चादिये उसझे लिए परस्पर लडना मू्ेंठा दै अपने समय में मद्दात्मा युद्ध के विचार सबसे उत्तम थे । ईसा के समय में इंसा के विचार सबसे उत्तम साने जाते थे । मोदम्मद सादय के समय में उनके विचार सुरसे उत्तम थे। स्वामी शंकराचायये के समय में उनके और स्वामी दयानन्द्‌ डे समय में दनके दिचार सबसे उत्तम थे । इसलिये दूसरे मर्ठों के विंचारों के तिए सहिप्रयुता चाहिए । चास्वय में घ्म सम्बन्धी दृ्श॑निक विचार थर्म के. मुख्य अंग सत्यादि की रक्षा के लिए निर्मित किये जाते हैं । इमकों




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