योग प्रवाह | Yoga Pravah
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology, योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.1 MB
कुल पष्ठ :
330
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
डॉ पीताम्बरदत्त बडध्वाल - Peetambardatt Bardhwal
No Information available about डॉ पीताम्बरदत्त बडध्वाल - Peetambardatt Bardhwal
ललिता प्रसाद नैथानी - Lalita Prasad Naithani
No Information available about ललिता प्रसाद नैथानी - Lalita Prasad Naithani
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[घ ४ 3
६ अन१२ ज्ञान गे सटी की वात कबीर रोरप की चीती
१३ स॑ गीनाद कान की मुद्रा
७ अ- १ कवीरन गोरप कू जीत्यो
थ तथा
७ अ- ७ श्री संप्रदाचारी
८ श्री गुरु सामानन्द् जी नौसानन्द जी साथवाचारी
चिपुपुस्वामी
इससे यह अजुमान होता है कि यदद प्रति कबीर के जीवन
काठ से भी कम से कम एक झाताब्दी बाद की तो अवश्य है
मयोंकि तब तक कवीर के सम्बन्ध में वे परम्परा प्रसिद्ध हो गयी
थीं जो उनके जीवनकाल में घटित नहीं हुई थीं क्योंकि कबीर
'और गोरख कदापि समकाठीन नहीं थे ।
इसी कारण इसके स्वामी राघवानन्द की रचना होने में भी
सन्देह हो जाता है । स्वयं पुस्तिका के अनुसार चह रामानन्द को
रवासी सघवानन्द का उपदेश है--
७ भ० ऐश “श्री राघवानन्द स्वामी उचरन्वे श्री रासानन्द
स्वामी सुनन्ते' इससे यह भी स्पष्ट दै कि राघवानन्द से अभिप्राय
रामानन्द के शुरु ही से है किसी अन्य से नहीं । ऐसी रचनाएँ
बहुधा शुरु की न होकर उनके दिप्य अथवा किसी अशिष्य की
होती हैं। दोने को तो केवल कब्ीर-गोरस गोप्ीवाला प्रसंग भी
पीछे से जुड़ा हुआ हो सकता है किन्तु सावधानी यहदी चाही है
User Reviews
No Reviews | Add Yours...