अंतराल महासमर भाग 5 | Antral mhasamer Vol - 5

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Antral mhasamer  Vol - 5 by नरेन्द्र कोहली - Narendra kohli

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“मैया तो समाचार पाते ही चल पड़ेंगे।” सुभट्रा बोली । “मेरा विचार है कि कांपिल्य और वाराणसी से भी कोई-न-कोई हमारी खोज-खबर लेने आएगा ।” युधिष्ठिर ने जैसे अपने-आपसे कहा । “शुक्तिमती से भी भैया आएँगे ही ।” करेणुमती से भी मौन नहीं रहा गया । “ठीक है !” युधिष्ठिर ने सूची को लंबे होने से रोक दिया, “हम मानते हैं कि हमारे सारे सुहद आएँगे।“इसलिए अर्जुन का विचार उचित ही है कि हमें उस दिशा में चलना चाहिए; और किसी ऐसे स्थान पर ठहरना चाहिए, जहाँ वे लोग हमें सरलतापूर्वक खोज सकें ।” “यही कहने का प्रयत्न कर रहा हूँ मैं ।” अर्जुन बोला, “निश्चित्‌ है कि सब लोग आएँगे; किंतु हम यहाँ रुककर, किसी की प्रतीक्षा नहीं कर सकते | यहाँ रुकने का अर्थ है, यहीं कृपि का सूत्रपात करना, जो संभव नहीं है। यह भूमि दुर्योधन की है। वैसे भी मुझे लगता है कि हमें कृष्ण से शीघ्रातिशीघ्र मिलना चाहिए । वह तो हमारी ओर बढ़ेगा ही, हमें भी उसकी ओर बढ़ना चाहिए प्रतीक्षा में व्यर्थ समय खोने का कोई अर्थ नहीं है। हमें प्रभास-क्षेत्र की ओर बढ़ना चाहिए !*” “हाँ ! वासुदेव से मिलना हमारे लिए बहुत आवश्यक है।” युधिष्ठिर आत्मचिंतन के से भाव में बोले, “वैसे यह समाचार द्वारका पहुँचेगा ही; और मेरा विचार है कि वे दोनों भाई हमसे मिलने के लिए तत्काल चल पड़ेंगे । इसलिए हमें यह ध्यान रखना ही होगा कि हम ऐसे किसी मार्ग पर न चल पड़ें, जो हमें कृष्ण और द्वारका से दूर ले जाए“या ऐसा न हो कि हम किसी और मार्ग से द्वारका की ओर चलें और वासुदेव किसी और मार्ग से हस्तिनापुर आ पढुँचे । “इन सारी बातों को ध्यान में रखें, तो हमें काम्यक वन की ओर ही चलना चाहिए । दिशा, मार्ग, और मार्ग में रुकने के सुविधाजनक विश्रामस्थलों की दृष्टि से वही सर्वोत्तम है।” नकुल ने कहा। “नकुल का विचार अति उत्तम है । वह इस क्षेत्र का भूगोल भली-भाँति जानता है ।” भीम ने समर्थन दिया, “हम प्रमाणकोटि से कुरुक्षेत्र की ओर दढ़ें । फिर यमुना, दृषद्वती और सरस्वती का सेवन करते हुए, मरुभूमि और वन्य-प्रदेश को पार करते हुए, काम्यक वन में चले जाएँ ।' “यही उत्तम है।” युधिष्ठिर ने अनुमोदन कर दिया, “काम्यक वन में हमें किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी ।“और हम दुर्योधन से टूर तथा वासुदेव के निकट हो जाएँगे ।” अंतराल / 23




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