जीवन विज्ञान की रूपरेखा | 1444jeevan Vigyan Ki Rooprekha

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1444jeevan Vigyan Ki Rooprekha by मुनि धर्मेश - Muni Dharmesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(री ) (९) लेश्या और भाव ३६६, चेतना : तीन स्तर ३६७, चेतना स्तर का निर्माण ३६८; (३) लेश्या सिद्धांत ऐतिहासिक अवलोकन ३६९, लेश्या शब्द मीमासा ३७०, लेश्या की परिभाषा ३७०, लेश्या के प्रकार ३७१, लेश्या उपयोगिता ३७२; (४) लेश्या और आभासण्डल ३७४, आभामण्डल व्यक्तित्व की पहचान ३७४५, आभामण्डल विज्ञान का मत ३७६, भाभामण्डल उपयोगिता ३७७, आभामण्डल स्वभाव-परिवतन ३७९, आभामण्डल. चेतना का जागरण ३७९; (४५) लेश्या ध्यान, वैज्ञानिक दृष्टिकोण ३८२, आध्यात्मिक दृष्टिकोण ३९२, प्रयोजन ३९७, निष्पत्तिया ४०१५, सारांश ४०८, सहायक सामग्री ४१० १० शिक्षा में जीवन विज्ञान पृ दर (१) भावश्यकता गौर सहत्व ४१७, आधुनिक जीवन शैली की समस्याएं ४१७, समस्याओं के कारण ४१८, वर्तमान शिक्षा प्रणाली असतुलन की समस्या ४१९, वर्तमान शिक्षा... अधूरी प्रक्रिया ४२०, शिक्षा की समस्याएं जीवन विज्ञान का दृष्टिकोण ४२०, शिक्षा के पुरक की खोज ४२१, जीवन विज्ञान एक समा- धान '४२४, जीवन विज्ञान का योगदान ४२६, (२) जीवन विज्ञान एक समाहारक और गतिशील दर्शन ४२७, समाहारक दर्शन ४२९, पाठ्यक्रम और समाहा- 'रक दर्शन ४३१, (३) जीवन विज्ञान : शिक्षा दर्शन ४३९, पिक्षा शास्त्रियो की आकाक्षा ४३२, भावात्मक विकास एवं मनोविज्ञान ४३३, भावात्मक विकास एवं विज्ञान ४३४, जीवन विज्ञान का स्वरूप ४३४५, सर्वाज्ग़ीण विकास ४३४, आधार . प्रायोगिक अभ्यास ४३७, प्रायोगिक प्रशिक्षण ३७, सूल्यो की प्रतिष्ठा ४३८, कार्येबिधि ४३९ ।॥ (४) जीवन विज्ञान : शिक्षा के तत्व (छाध्णल्ां४ 01 ७०800), सुख्य उद्देश्य ४४९, केन्द्रीय विषय वस्तु (0०6 'ड४३, पारस्परिक प्रविधिया '४४१, मूल्याकन ४५४, सारांश ४५७, सहायक सामग्रो ४६१,




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