संगीत विशारद | Sangeet Visharad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# श्भ्र परस्पर आदान प्रदान । जिससे सज्ञीतकारों के वातावरण में एक नूतन चेतना का सजन हो जाता है जो कि उनके विकास का प्रतीक बनती है । को गोष्टियों में गाने से बिल्कुल संकोच नहीं करना चाहिये यदि ये संकोचवश उनमें शामिल नहीं होते तो उनके सांगीतिक ज्ञान की परिधि सीमित रहद जायेगी । सफल सन्ञीतज्ञ के लिये समय-समय पर गोष्ठियों में भाग लेते रहना उसके विकास का प्रकाश दीप है । ब्रिटेन के बिख्यात सज्ञीतज्ञ मिस्टर इंलविन उल्फ ने सफल सज्ञीतज्ञ बनने के उपकरणों में लिखा है -- वे व्यक्ति सौभाग्यशाली हैं जिनको अधिक-से-झधिक गोष्टियां में शामिल होने का सुअवसर प्राप्त होता रहता है क्योंकि उनके जीवन का विकास कला की सही दिशा की ओर होगा । वे कला के शाश्वत स्वरूप का निर्माण करने में पूर्ण सफल होंगे वास्तव में गोछियाँ सज्ीतज्ञों के लिये संजीवनी शक्ति कह्दी जांय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । विश्व के अनेक सज्ञीतज्ञों ने सिफ्े गोष्टियों में शामिल होने के बल पर ही सज्ञीत के चेत्र में सफलता उपलब्ध की है जैंसे- मलायां के मिस्टर थीवन्स न्यूयाक॑ के मिस्टर रेडयोट और स्वीडन के मिस्टर श्रीनविस । लेकिन इन गोष्टियों में ्ापकों स्पष्ट हृदय एवं खुली हुई आँखे द्वारा जाना चाहिये ताकि आप चहांके महत्वपूर्ण सांगीतिक उपादानों एवं चातावरण को श्रहण करने में पूर्ण सफल हों । सिफ़े शामिल होनेसे ही काम न चलेगा जबतक कि आप सतर्क होकर हर चीज़ को अवलोकन करके प्राप्त न करेंगे तब तक नग्न हृदय एवं सस्तिष्क से जाकर छुछ भी लाभ नहीं हो सकता और फिर एक सट्ञीतज्ञ को तो और भी सतर्क एवं तीघ्र बुद्धि का होना चाहिये ताकि वदद सज्ञीत की प्रत्येक हलचल को प्रत्येक चहल-पहल को सुगमता से पकड़ सके । अगर आप सफल सज्ञीतज्ञ बनना चाहते हैं तो आपको समय-समय पर गोष्ठियों में अवश्य सक्रिय भाग लेना होगा । और देखिये क्रान्स के महदान्‌ कलाकार मिस्टर वानडीविस क्या कहते हैं - जब सांगीतिक में अस्त-व्यस्तता आ जाती है जब सांगीतिक जीवन विश्वखल हो जाता है और नव सांगीतिक तथ्यों में परस्पर एक सूत्रता नहीं रहती तब यद्द॒गोष्ठियाँ सज्ञीत के रूप में अदुरूपता लाती हैं और उसको मनोरम बनाती हैं । जिस प्रकार बिना लहरों के सागर का सौन्दर्य तुच्छ है क्योंकि बिना लहरों के सागर में गतिशीलता नहीं रहती जो कि उसका जीवनहै ठीक इसी प्रकार गोष्ठियां सज्ञीतकार के विशाल जौवन में लहरों के समान हैं जो उनके जीवन में प्रवाह लाती रहती हैं । बिना प्रवाह के जीवन का क्‍या मूल्य प्रवाहपूर्ण जीवन ही जीवन है । इन गोष्ठियों को आझाप सज्ञीतकारों के जीवन का मार्ग-चिन्ह भी कह सकते हैं क्योंकि यहीं से उनको अपनी कला के सन्तुलन का सही पता चलता रहता हे क्योंकि यहाँ उनको कला कसौटी पर चढ़ाई जाती है और तब पता लगता है कि उनकी कला ओोजपूर्ण है उथवा नहीं । कसौटी पर चढ़ने के बाद ही किसी चीज़ के खरे-खोटे का ज्ञान हो सकता है उससे पू्॑ नहीं । जब आपको अपनी कला की परख पूर्ण रूप से ज्ञात्त हो जाये तब आप झपना सही कदम उठा सकते हैं श्र फिर आप कला की सही दिशा की ओर बढ़ सकते हैं । गोष्ठियों से कला का परिष्कार एवं सुन्दरतम रूप निर्मित होता रहता है। गोष्टियों में कितने -- ष्टियों में शामिल न होने से आपको यह नहीं मालम पड़ सकता कि. क्रित की छाया




User Reviews

  • ईपुस्तकालय

    at 2019-07-13 13:02:42
    Rated : 6 out of 10 stars.
    सूचित करने के लिए धन्यवाद रोहित जी | शीघ्र ही पुस्तक नवीन प्रष्ठों के साथ अपलोड की जाएगी |
  • Rohit

    at 2019-07-12 18:33:52
    Rated : 6 out of 10 stars.
    पृष्ठ 204 से 207 तक पुस्तक में नहीं है
  • Rahul

    at 2018-10-13 08:20:09
    Rated : 6 out of 10 stars.
    बहुतही कामयाब ग्रंथ
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