प्रिया प्रीतम बिलास | Priya Pritam Bilas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.89 MB
कुल पष्ठ :
61
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).. ४५५ एक कतार ते! कप नए कल एस न पल लेप पक; हा लक कया कक पक
सपा सवाल सिवाय पल
लाल को विसाल रूप टेढो र्षा भाल लाल
गरद गुलाल को ॥ ४१ ॥
कलकानि है जायदे । त्यों गनपाल जू मेरे कहे
न
के गाल गुलाल लगाय दे ॥ ४३ ं
तूतो बके बहतेरो अली गली भलौ
कलकानि न छूटे । गनपाल न भावे हमे
क सवेया !
साजिडीं साज समाज सदेस सबेस करो
रंग केसर घोरो । व्यों गनपाल जू लाज समेत
उड़ाय के बौर अबौरहि भरी ॥ देषि ही सो
। कछबि प्रेम मद जैहि कौन्हो मनोज को ओज
| अधोरी । बाल हँसें तो हँसे सजनी हों गोपाल
के साथ में खेलिहों होरी ॥ ४० ॥
जो तुह्ि बौर पियारी अहै कुल कानि सो री
एक तान बसन्त कौ सौठो सौ गायदे ॥ जो
बन्या पिय प्यारे सो थे हृठिके सजनी अबहीं
बिसराय दे। पेहे भटू नहिं ऐसो समय् नेंदलाल
विष सी बतियां हियरो घरि कटे ॥ कौन सिखे
कं लिन वि
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