प्रिया प्रीतम बिलास | Priya Pritam Bilas

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Priya Pritam Bilas by रामकृष्ण वर्म्मा - Ramkrishn Varmma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.. ४५५ एक कतार ते! कप नए कल एस न पल लेप पक; हा लक कया कक पक सपा सवाल सिवाय पल लाल को विसाल रूप टेढो र्षा भाल लाल गरद गुलाल को ॥ ४१ ॥ कलकानि है जायदे । त्यों गनपाल जू मेरे कहे न के गाल गुलाल लगाय दे ॥ ४३ ं तूतो बके बहतेरो अली गली भलौ कलकानि न छूटे । गनपाल न भावे हमे क सवेया ! साजिडीं साज समाज सदेस सबेस करो रंग केसर घोरो । व्यों गनपाल जू लाज समेत उड़ाय के बौर अबौरहि भरी ॥ देषि ही सो । कछबि प्रेम मद जैहि कौन्हो मनोज को ओज | अधोरी । बाल हँसें तो हँसे सजनी हों गोपाल के साथ में खेलिहों होरी ॥ ४० ॥ जो तुह्ि बौर पियारी अहै कुल कानि सो री एक तान बसन्त कौ सौठो सौ गायदे ॥ जो बन्या पिय प्यारे सो थे हृठिके सजनी अबहीं बिसराय दे। पेहे भटू नहिं ऐसो समय्‌ नेंदलाल विष सी बतियां हियरो घरि कटे ॥ कौन सिखे कं लिन वि




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