हजरत ईसा और इसाई धर्म | Hajrat Isa Aur Isaai Dharm

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भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के  साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।

26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।

मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 5 बुराई श्रौर भलाई बराबर नददीं हो सकतीं बुराई का बदला भलाई से दो श्रौर हुम देखोगे कि जिसे दुमसे दुश्मनी थी वद्द भी तुग्दारा गददरा दोस्त दो जायगा | ४१-३४ 0 | बुराई का बदला मलाई से दो २३०९६ । सच यह है कि दुनिया के सब बड़े बड़े धर्म मऊहबों और सब मज़हबी किताबों के बुनियादी उसूल एक है। फरक उयादा- तर सिफे ऊपर के कम काणडो और पूजा के तरीकों मे है या उन छोटी छोटी बातो में है जो देश श्ौर काल मुल्क और जमाने के साथ साथ बदलती रददी हैं। दिन्दुस्तान में या किसी भी देश में मऊहूब के नास पर म.गड़ों की वजह सिफ़ यह है कि दम झपने ध्यपने मउ हबो के बुनियादी उसूलो पर इतना ऊोर नही दते जितना उपर के रीत रिवाजो छर दूसरी छोटी छोटी वातों पर । इसीलिए सब से ज़्यादा जुरूरी यह है कि दम हमदर्दी के साथ एक दूसरे के मजुहबों को समझें घर एक दूसरे के पैगभ्बरो झवत्तारो और तीर्थक्टरो की दिल से क्द्र करना सीखें । खुश बिस्मती से हमारे देश में हिन्दू मुसलमान इंसाई पारसी वसोरह सब सजहबो के लोग सौजूद हैं। यह सुल्क सब का एक बराबर मुल्क है। इसीलिए हमारे लिए एक दूसरे के मजुहबो और मजुहब के क्लायम करने वालो को ठीक ठीक समझना श्रौर भी ज्यादा जरूरी है। झगर उस परमात्मा ने जो सब का ईश्वर झललाह गॉड है चाहा तो इसी तरदद इस




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