शांति - यात्रा | Shanti Yatra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० शांति-यात्रा सबसे पहले हम इन्सान हैं दारणाधथियों को बसाने का काम जल्दी होना चाहिए इस बात में हम सब हमराय हें। वह जल्दी नहीं हो रहा है तो कहीं-न-कहीं गलती है उसको हमें दुरुस्त करना होगा । उसके बारे में तफसील से विचार करना होगा । अभी में सिर्फ दो बातें कहना चाहता हूं । एक तो यह कि पाकिस्तान क्या करता हे यह देखकर हम यहां काम न करें । उस खयाल से तो हम अपने को दूसरों के हाथों में छोड़ देते हैं । फिर वह जैसा चाहेगा दैसा हमें बनायेगः । यह ठीक नहीं है । हमें पहल करना इनीशिएटिव्ह अपने हाथ में रखना चाहिए । और जो ठीक बात लगती है करनी चाहिए । जनता तो नेताओं पर भरोसा रखकर चलती है । जो राह उसको बताई जायगी उस पर वह चलेगी । लोगों को सही रास्ता बताना नेताओं का काम हैं। और सही रास्ते पर चलने से ही ताकत बढ़ती है । दूसरो बात अभी एक भाई नें कहा कि हम हिंदू हैं या मुसलमान हैं इस तरह सोचना छोड़कर हम सब हिंदुस्तानी हैं ऐसा मानें । इसको में एक हृद तक मानता हुं। लेकिन हमें तो यही विचार दृढ़ करना चाहिए कि सबसे पहले हम इन्सान हूं बाद में सब कुछ हें । क्योंकि हिंदुस्तानी के अभिमान




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