जीवन का सद्व्यय | Jivan Ka Sadvyay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'ठ्यक्तिगत मानवीय कतब्य
पहला अध्याय
विचार
है मनुष्य, आत्मचिंतन कर--यह सोच कि तेर जीवन
धारण करने का उद्देश कया है ?
अपनी शक्तियों का ध्यान कर; अपने अथावों ओर संबंधों
पर ध्यान रख। इससे तुमे जीवन के कतेंव्यों का ज्ञान
होगा, और अपने समस्त कार्यों में मागे दिखाई देता रहेगा ।
जब तक अपने शब्दें को तौल न ले, मुँह से कोई बात न
निकाल; जो काये तू करना चाहता हैं, उसके संबंध में अपनों
धुन और लगन की जाँच जब तक न कर ले, तब तक कोई
काम न कर । इसका फल यह होगा कि अकीति तुमसे सदा
'दूर रदैगी, शमिंदगी तेरे घर के लिये बेगानी चीज़ होगी;
पश्चाताप तेर निकट न आवेगा, और न शोक की छाया तेरे
कपोलां पर दिखाई देगी |
जो विचार-हीन है; वह अपनी जिह्ा पर झअ'कुश नहीं
“रख पाता; जो सन आता है; वदीं कह बडता है. और फिर
अपने ही मृखंता-भरे शब्दों से फेँस भगड़े में पढ़
जाता है ।
जो मनुष्य बिना इस बात को सोचे या देखे कि दूसरों
User Reviews
No Reviews | Add Yours...