ब्रह्मसूत्रा | Brahmasutrani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सुर
आथ ब्रद्मसूत्राणि
माषादीकासहितानि ।
प्रथमो5ध्याय: १.
प्रथम पाद ।
ड#-अथातों बह्मजिज्ञासा ॥ १ ॥
प्रणस्थ सच्चिदानंदं गुरूं चाज्ञाननादाकस् ॥
सारा घ्रह्मसुन्ाणां कथयासि यथासति ॥ १ ॥
इस सूत्रके-अथ अतः त्रह्माजेज्ञासारेयद तीन पद हैं ॥ अथ
शब्दका आनंतर्य अर्थ हे । अतः शब्दका देत अथ है । त्रह्मजिज्ञासा
शब्दूका अर्थ त्रह्म़को विपय करनेवाली इच्छा है । कतंदय पदका
अध्यादार करना ॥ तथाच ॥ यर्मात् अधिद्देघादिकोंका फल जो
स्वगांदिक सो अनित्य हे तस्मात घर्मजिज्ञासाके अनंतर अथवा
साधनसंपत्तिके अनंतर त्रह्मकी जिज्ञासा ( जाननेकी इच्छा ) करनी
अथवा ब्रह्कका विचार करना यह सूनका साराथ॑ है ॥ 3 ॥
प्रथम तब्में कहा है एके अह्मकी जिज्ञासा सुसुझु पुरुपकों करने-
योग्य हे तिस त्रह्मका लक्षण क्या है अतः भगवान सूचकार अ्रह्मको ,
तटस्थ लक्षण कहते है ॥
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