क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ | Kya Main Andar Aa Sakta Hu
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सवाल बनाम सिगरेट र
“बात कुछ नहीं । सिगरेट लाझो भर मौज करो । तुम्हे कोई चीज़ .
चाहिए 12
“नहीं साहब, लेकिन--”
“तब फिर लेकिन वेकिन कुछ नही । सिगरेट लाझो श्रौर अपना
काम करो ।”,
नौकर जानता था कि साहबकों जरा भी श्रधिक बोलनेके लिए प्रेरित
करना उनके लिए हानिकारक होगा । विवद्य होकर वह चुप हो जाता था ।
सिंगरेटकी दवा कई दिनसे चलते-चलते अब समाप्त हो श्राई थी,
और गॉवके जिस डाबटरने वह दवा वनाई थी वह मर चुका था । वह
दवा झब कहाँसे आये, भ्ौर दवा न झ्रा सके तो कप्तानकों शहरके श्रस्प-
तालमे स्थायी रूपसे रोग-निवारणके लिए किस तरह पहुँचाया जाय,
ये ही प्रश्न नौकरके मनमे चक्कर लगा रहे थे, श्रौर इन्हे ही वह कप्तानके
सामने रखना चाहता था । लेकिन कप्तानके कठिन स्वभाव श्रौर हुठधर्मी
के कारण बहू अभी तक भ्रपनी बात उसके सामने नहीं रख पाया था ।
. -अ्रगली बार कप्तानको सिगरेट देते हुए नौकरने कह्ा--
साहब, यह झाखिरी सिगरेट है ।”
“लाझो श्राखिरी सिगरेट, यह पहली जैसी ही श्रच्छी है ।” कप्तानने
उसके हाथसे सिगरेट लेते हुए कहा श्ौर धुआआँ उगलने लगा ।
तीन घटे बाद उस कप्तान, श्रौर उसके नौकरपर ज़ो कुछ बीती उसका
शनतुमान भाप भी कर सकते है । ं
चिकित्सा विज्ञानका एक भ्रग है जिसे तात्कालिक चिकित्सा या पहुला
सहारा 8४: 2तत कहते है ।
इस पहले सहारेसे बीमारी या चोट थोडी देरके लिए प्राय दव जाती
हैं और पीडितको कुछ श्राराम मिल जाता है, लेकिन यह पहला सहारा
,रोगको दूर नहीं कर पाता । इस पहले सहारेका दीं काल तक सहारा
लिया जाता रहे और कप्टके स्थायी निवारणका प्रयत्न न किया जाय तो
यह पहला सहारा बहुत हानिकारक,भी हो सकता है । रोग वाहरसे दबकर
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