आत्मसिद्दी | Aatmasiddhi
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीमदू राजचेन्दू
लव एलटरडाा
परिचय ।
'स्वई समाचार” नामके दैनिक पत्रने सन. १८८६ दिसम्बर ता०
९ के अंकमें नीचे लिखा शीर्षक देकर अपने अग्रढेखमें लिखा थाः--
अद्भुत स्मरण-दक्ति तथा कवित्व-शक्ति-सम्पन्न
एक युवा हिन्दूका आगमन और उसके
द्वारा किये गये शतावधान ।
“श्रीयुत कवि राजचन्द्र रवजीभाईकी उम्र इस समय कुछ १९ वर्षकी
है | वे एक हिन्द:गूहस्थ हैं । मोरवीसे यहाँ आकर उन्होंने अपनी सरण-
शक्ति तथा कवित्व-शक्तिके जो अद्भुत श्रयोग करके दिखाये हैं पाठ-
कोंको समय समय पर हम उनका परिचय कराते आ' रहे हैं । ऐसी
महान शक्तिके धारक कई पुरुप यहाँ आ चुके हैं; और खुद वम्बईहीमें
शीघर-कवि श्रीयुत पंडित गददूठाठजी इस अरकारकी दक्तिके धारक हैं ।
परन्तु कुछ लोगॉंका कहना हे कि श्रीमद् राजचन्द्रकी शक्ति उनसे भी कहीं
बढ़ी-चढ़ी है । दूसरे जहाँ एक साथ आठ आठ अवधान करते हें वहीँ
श्रीमदू. राज॑चंद्र एक साथ कोई सौ अवधान करनेवाले समझे जाते हैं ।
उनकी शक्तिमें सबसे बढ़ी भारी खूवी यह है कि वे एक ही समयमें
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