इंग्लैंड में महात्माजी | England Me Mahatma Ji

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
England Me Mahatma Ji by शंकरलाल वर्मा - Shankarlal Verma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शंकरलाल वर्मा - Shankarlal Verma

Add Infomation AboutShankarlal Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
३ इग्लैंड में महात्माजी बन्दोवस्ती जिला या श्रद्धफौजी तेत्र बना दिया जायगा ओर इस प्रकार वहाँ का सारा साव॑जनिक जीवन नह हो जायगा | यहाँ के हिन्दुस्तानी गाधीजी तथा गोलमेज-परिषद्‌ के दूसरे प्रतिनिधियों का स्वागत करना चाहते थे श्रौर इसके लिए राष्ट्रीय मरडा साथ रखना चाहते थे | किन्दु रेजिडेन्ट ने राष्ट्रीय कएडा साथ रखने की इजाजत न दी श्रौर जब्तक स्वय गांधीजी ने इस स्वागत समिति के श्र व्यत्त श्री फ्रामरोज कावसजी को यह न सुकाया कि रेजिडेन्ट से टेलीफोन द्वारा कहा जाय कि वह गॉँधीजी इन शर्तों के रहते श्रमिनन्दन-पत्र के स्वीकार करने की कल्पना तक नहीं कर सकते और जब कि सरकार श्रौर का्रेस में सन्धि है तब कम-से-कम सन्धि के श्रनुसार सरकार को राष्ट्रीय कएडे का विरोध नहीं करना चाहिए तब्र तक किसीकों भी रेजिडेन्ट के इस कार्य का विरोध करने का साहस नहीं हुआ । यह दलील काम कर गई तर गाँधीजी को श्रमिनन्दन-पत्र दिये जाने की जगह राष्ट्रीय कएडा फहराने की स्पीकृति देकर रेजिडेसट ने इस श्रप्रिय स्थिति को ब्रचा लिया | दूमरी बात जो मैंने देखी बह यह थी कि यद्यपि श्रदन के भारत सरकार के श्रधीन किये जाने का प्रश्न कई दिनो से सामने था फिर भी गाँधीजी को दिये गये श्रमिन्दनयत्र में उस सम्बन्ध में एक शब्द तक न था । में इसका कारण श्रषिकारियों के भय के सिवा श्री कुछ नहीं समता | किन्तु कुछ नवयुवक ऐसे हैं जो वम्दई के महासभा के उत्साह- प्रद वातावरण की कुछ चिनगारियाँ वहा ले गये हैं श्र गुजरातियों के कारण जो कि प्रहाचतः श्रान्दो्न से परिचित रहे है वहाँ काफी खादी राष्ट्रीय भरडा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now