साधना के मूलमंत्र | Sadhna Ke Moolmantr

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Sadhna Ke Moolmantr by अमर मुनि

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-4२१- मन और मस्तिष्क का मिलन जैनधर्म ज्ञान श्रौर क्रिया का मार्ग है । ज्ञान से जीवन में श्रालोक का. स्वशिम प्रभात प्रस्फुटित होता है विवेक दीप प्रज्वलित होता है श्रौर उससे साथना का क्रिया काणुड का पथ प्रदास्त होता है । क्रिया से जीवन को गति मिलती है ज्ञान को विकसित होने का श्रवसर .. मिलता है । ज्ञान साधना-पथ को देखने के लिए श्राँख देता है तो क्रिया साधना पथ पर गंति करके रास्ता तय करने के लिए पैर प्रदान करती है । भ्रथ॑यह हुमा किज्ञान से जीवन में विवेक जगता है तो क्रिया से जीवन. में चमक श्राती है । ज्ञान क्रिया को विशुद्ध बनाता है तो क्रिया ज्ञान को चमकाती है। इधर पत्र पुष्प एवं फलों से लदी शाखा-प्रशाखोएँ वृक्ष की शोभा को बढ़ाती हैं तो उधर कक्ष भी उन्हें जीवन रस प्रदान करता है उनकी शोभा में श्रभिवृद्धि करता है । जल से कमल पत्लवित होता है तो कमल से जल श्रौर जलाशय शोभित होता है । इसी प्रकार ज्ञान से क्रिया प्राणवान बनती है तो क्रिया से ज्ञान गतिमानु बनता है। . परन्तु जब तक साधक ज्ञान श्रौर क्रिया का उचित समन्वय नहीं कर पाता है तब तक उसके ज्ञान में सम्यकू गति नहीं भरा सकती श्र




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