यूरोप यात्रा | Europe Yatra

Europe Yatra by विट्ठलदास मोदी - Vitthaldas Modi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राचीन सस्यताके केद्र सिससें १७ कट्ठा करनेमे छगे थे श्रौर दस वर्ष ही इसकी नींव रोपनेमे । यह पिरामिड सौ-सी, दो-दोसी मनके पत्थरोका वना हे । श्राव्चरय होता है कि इत्तने बडे पत्थर जब क्रेन नही थे तो लाये कसे गये होगे । ये पिरामिड सालके केवल श्रगस्त, सितवर श्रोर भ्रक्तूवर महीनोमे वनते थे, जब नील- म वाढ रहती थी श्रौर ये पत्थर नावोढारा पिरामिडतक पहुंचा दिये जाते थे । ऊपर पहुचानेके लिए बने पिरामिडकों वालूसे टकने जाते थे श्रौर पत्थर वालूपरसे घसीटकर ऊपर पहुचाते थे । जो बडा पिरामिड हम देख रहे थे वह चोपसका वनवाया हुस्न है । यह ईसासे ६३० वर्ष पहले बना थ्रा। पिरामिड एक तरहकी कव हे दे कि मरसंपर 3 राजा श्रौर उसके परिवारवालोंकी कब्र । राजा था नानीके मरनेपर जे कुछ भी उसका होता था उसके साथ कवसे ऐसी दसामे रख दिया जाता था दि सब कुछ ठीक रहे । यवपर कोर ऐसा मसाला लगा दिया जाता था कि वह सटे नहीं झ्रौर उसे श्वादमीकी यवलदे एक काठके वक्समसे रववा जानता था, फिर उसे एक खालिस सोनेकें. वक्समे, फिर ऐसे ही दूसरे श्रार तीसरे ववसभे, फिर सोनेके पत्तरसे सटे बाठके एक चौकोर चवपमे प्राॉर तव उस बवसवों एव-एक वर दो बरसे । घक्सोपर नरवीर उत्कीण होती थी । दूसो स्रौर सलीसरे घकोपय यमन पाच-पाच सन होगा । पघाखिरी ये दीस एड गया सौर उतना ही चौदा तथा ऊचा ऐोया। टर बवसके पास सनों सोना पौए जवरात, उजजादे चठनवा सिहासन, उसकी राट, बयटे, चप्प्ट, टटिया, हथियार, पगारवा सामान, साने-पीनेके बर्तन पादि रखें जाते से । यहीं नही, देखी- ददतायोकी रदिया, पहनना वारियोंकें दीज सया यत थी पवते थे । चत्पना या दी वि सरसर दाधपगी टुसरा जीडन दास बरता हैं पर डाएके शा च थम नि बाण न पी मरा की कप पस्दी घर चूनव ।ए से ससागियावय जरूरत नकदी के ष # उन बज दे की» पर न हज ही था सनार्व दो 3 चासधना सहगल गटर दा काना थी चोट जास्ता सद् सा लग रवि एके व सन, सन, कपरएस दल दिए नया चर दया उतन्त दो । प्र स्वर रा दया जन




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