दण्ड शास्त्र | Dand Shastra

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Dand Shastra by प्रकाशनारायण सक्सेना - Prakashnarayan saksena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ & 2 जिसके बारें में उन लोगों के द्वारा जो समाज के ख्यालातों को संमाज पर लायू करते हैं यद ख्याल किया जाता है कि चह ससाज के लिये हानिकर है और जिस कम के लिये उन्होंने पहिले ही से सज़ा तजवीडा कर ली हो । इस परि- भाषा में तीन चीजों पर जोर दिया गया है । १ इस बात का ख्याल कि झ्रमुक काय॑ समाज के लिये नुक्सान देने वाला है | २ यह ख्याल उन लोगों का हो जो समाज पर श्रपने ख्यालात लागू कर सकते हों | ३ और इस ख्याल के खिलाफ कार्य करने पर सजा तजवीड़ा कर चुके हों । यह बात ज़रूरी नहीं है कि यह ख्याल सह्दी है या ग़लत और यह ख्याल किस तरह पैदा हुझा । ख्याल आदमी की मनोवबत्तियों पर निभर हो सकते हैं और झादमी के पुराने रीति रवाज पुरानी प्रथाओं चोचलों और मनगढ़न्त क्िस्सों पर निभर हो सकते हैं । किन्तु इस प्रकार के र्यालात समाज के तजुर्बों का नतीजा हैं। श्रौर इन्हीं र्यालात के जारिये समाज का नियंत्रण किया जाता है इस लिये यह परिभाषा जुम॑ की सामाजिक परिभाषा भी कही जा सकती है | किसी काय के बारे में यह ख्याल कि वह समाज के ले अहितकर है केसे उत्पन्न हुआ इसकी खोज करना बेकार है| कुछ कायें तो इसलिये जुर्म माने जाते हैं क्योंकि वह हमारी




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