श्राद्ध मीमांसा | Shraddha Mimansa

Shraddha Mimansa  by पं. भीमसेन शर्मा - Pt. Bhimsen Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ लननप्यपनया कर 2 ना - इस दूशामें स्थूलू ही पाठन करने चाला है सश््मसे पाठन नददीं दोता यदद कहना युक्ति प्रमाण चिरुद्ध हैं पृथिच्यादि की अपेक्षा वायु सक्षम है चायुष पालयति प्रा: ” चायु सच घ्रज्ञाकी रद्ता पूशथिव्या दिकी जपेज्षा भधिकर इसलिये करता है कि अन्न जल न मिलनेसे जितने फाल जीचन रद्द सकता है उतने काल चायु न मिछने से जौचन नद रद्दर सकता। भौर सूधम अट्रप्य परमे वर सर्चोपरिं सवस्ता रक्तक पाठक दोानेसे पिता है। इस से सिद्ध दे कि स्थूल चरूतु परिधमित देशकाल में रददने घाला दोने से उतने थोड़े दी देशकाल में रद्ता चार सकता है वीर सूदम गधिक देश फाल मैं रदने चाला एोने से चहुत गधिक देश चालमें रद्ता कर सकता है । इससे सुकषम खुख्य रक्तक था पितर हैं और स्थून उस की अपेक्षा सीण रस्तन वा पिंतर है | तथा यदद भी नियम चिद्यमान ही है कि ** गौशुसुख्ययो सु ख्ये कार्य- सम्प्रत्ययः ” गण और मुख्य दोलों के झ्द्ण होने की सम्भावना में सुख्य का अ्दणु होने से जीचित गौण पितर नदीं लिये ज्ञायंगे किन्तु मुख्य सूद्म पितरोंका श्रदण दोगा ! (प्र०) यदि दम खूछ््मोंकों ही मुख्य पित्तर मान भी छें तो खूदम पितर चायु भादि सूकम त्तच्च क्यों चद्दीं श्रहण किये जांय १ । उ०-सूक्ष्मों का सुख्य दोना तो युक्ति भमाण सिद्ध दोने से तुमको मानना ही पड़ेगा सूक्ष्म पितर चायु भादिं तत्व इससे नहीं लिये जांयगे कि वे पितथों का निरूपण फरने घाले मन्त्रों से चिरुद्ध हैं। सक्षम पितर ( पालन करने वाले ) वे ही झददीत होंगे जो मन्त्रार्थों से सिद्ध हों । श्र० तुमने पितरों का स्वरूप चोध नहीं कराया कि चे सुधष्म पितर केसे दैं। उ०-सूशष्म अट्टश्य पदार्थों को कोई आंखों से नहीं दिखा सकता न दाथ में पकड़ा सकता है पितर: तो दूर हैं चुम .अपने मन बुद्धि चित्त अहंकार वो ही साश्तात्‌ नहीं करा सकते । दम लक्षणों द्वारा चा श्रम्ाणं द्वारा जिस प्रकार सूदम चस्तु का स्वरूप चोंध ब्राया जा सकता है चैसा कराने के लिये आगे ९ यधाशाक्ति लेख करेंगे । अब दम यहां झऊुछ प्रमार्णोकों लि- ते हैं जिससे छात होगा कि पितर कौन हैं 2 1




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