धर्म के गीत | Dharm Ke Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रुत निश्चित के भी भेद चार किये भारी 11911
अवय्रह ईहा अवाय धारणा जानो-2
दोछाः छा छा यों सेद क्रमशः मानो ।
प्रभेद अनेकों होते हैं घेयकारी 1110 11
अक्षर सन्नी सम्यक्त्व गमिक व सादि-2
सपर्य वसित और अंग-सात इतरादिं।
श्रुतज्ञान के चौदह भेद प्रभेद हैं भारी 11111
कर ज्ञानावरणीय का नाश ज्ञान 'विकसाऊं-2
बन सिद्ध आप सम ज्योत्त में ज्योत समाऊें।
मुनि धर्मेश ' की अर्ज 'करो स्वीकारी 1112 11
10. सुविधि जिन स्तुति
तर्ज : जब तुम्हीं चले यरदेश -
प्रभो सुविधिनाथ जिन राज अर्ज मेरी आज नाथ स्वीकारो।
रुक जावे कर्मबन्ध सारो । टिर।1
सुग्रीव नृप सुयशा सुत प्यारे आया अब तेरे में द्वारे।
तजना चाहता सब कर्मबन्ध विकारों 11111
प्रदोण निहनव मत्सर वृत्ति रख ज्ञान मे अन्तराय खुद्धि।
करे ज्ञान-दर्शना वरण बंध दुःखाकारो 112 11
1 17 धर्म के गीत
अल रा
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