अनंत के पथ पर | Anant Ke Path Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इस “महाशुन्य” में किसका
में अनुभव कर मुसकाती ?
में श्रपने ही कल-रव को
क्यों नहीं समभकने पाती ?
नभ के “पढें” के पीछे
करता है. कोन “इशारे ?
सहसा किसने. जीवन के
खोले हैं... बंधन सारे?
रुक सकी न इस कुटिया में,
रह सकी न में मन मारे।
हो अब प्रवाह ही. जीवन,
छूटें.. सब कूल-किनारे ।
जग के सुख-दुख से. मेरा
अब टूट चुका है नाता ।
पर, समभझ नहीं पाई हूँ
है. मुझको कौन. बुलाता ?
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