हिंदी शब्द सागर खंड 1 | Hindi Sabd Sagar Khand 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अंडज़ा ः श्छ हि का एक हक भप्रज्ञा-संज्ञा ख्री० सं० कस्तूरी । अेडचेड-संशा खी० भनु० १ श्रसंबद्ध प्लाप । मे सिर पैर की बात । ऊटपरांग । श्रनाप शनाप । रगड़ बगड़ । ब्यर्थ की बात । २ गाली । बुरी बात । क्रि० प्र०---कहना ।--बकना ।--बोलना । वि०-व्संबद्ध। वे सिर पेर का । इधर उधर का । श्रस्त व्यस्त । व्यथे का । प्रयोजनरहित 1 सैंडरना 1-क्रि० अ० सं० अतरण घान के पौधे का उस अवस्था में पहुँ चना जब बाल निकलने पर हें । रेंड़ना । गरभाना । अंडबूद्धि-संज्ञा ख्री० सं० एक रोग जिसमें अंडकोश वा. फोता फूल कर बहुत बढ़ जाता है । फ़ोते का बढ़ना । चिशेष-शरीर का बिगड़ा हुआ चायु. या जल नीचे की श्र चलकर पेड की एक श्रोर की संघियें से होता हुझा भ्रंडकाश में जा पहुँचता है शोर उसको बढ़ाता है । चेद्यक में इसके बातज पिसज श्रादि कई भेद माने गए हैं । अंडस-संज्ञा खरी० सं० अन्तर र्बाच में दाब मे कठिनता । कठि- नाई । मुशकिल । संकट । श्रसुबिधा । अंडा-संज्ञा पुं० सं० श्रड वि० भंडेल बच्चों को दूध न पिलाने चाले जंतुओं मादा के गर्भाशय से उत्पन्न गोल पि ड जिसमें से पीछे से उस जीव के श्रनुरूप बच्चा बन कर निक- लता है । वह गोल वस्तु जिसमें से पत्ती जलचर श्र सरीसप श्रादि झंडज जीघें के बब्च फूटकर निकलते हैं। बेज़ा । मुह ०--खटकना - अंडा फूटना ।--दीलषा होना वां सरकना - क नस ढीली होना । थकाबद आना | शिथिलन होसा । उ०--यह काम सहज नहीं है झंडा ढीला है। जायगा । ख खुक्ख हैनना । निद्रव्य होना । दिवालिया होना । उ०--ख्े करते करते झंडे ढीले हो गए ।---सरकना हाथ पैर हिनाना । अंग डालाना । उठना | उ०--बेंढे बेठे बताते हाथ झंडा नहीं सर कता ।--सरकाना द्ाथ पैर हिलाना । अंग डेललाना । उठना | उठकर जाना । उ०--घ्रब झंडा सरकाझा तब काम चलेगा । प्राय मोटे वा बड़े झंडकोश वाले ादमी को लक्ष्य करके यह मुद्दाविरा बना है ।--सेना क पक्षियों का अपने ंडे पर गर्मी पहुँचाने के लिये बेठना । ख घर में बेंठे रहना । बाइर न निकलना । उ०---क्या घर में पढ़े ंडे सेते है| । झंडे को शाइज़ादा वह्॒व्यक्ति जा कभी घर से बाहर न निकलता छ। वह जिसे कु्ठे ्नुमव न है । अंडाकार-वि० स० झंडे के श्राकार का । बैज़ाबी । उस परिधि के झाकार का जो झंडे की लंबाई के चारों श्रार खींचने से बने । लंबाई लिए हुए गोल । अंडाकृति-संज्ञा ख्री० से० झंडे का झाकार । झंडे की शकल । वि०्-ंडे के धाकार का । झंडाकार । रेड इच । अंड़िनी-संशा ख्री० सं० खियें का एक यानिरेग ज़िसमें कुछ अत मांस बढ़ कर बाहर निकल भाता हैं। इसे विनिकंद रोग सी कहते हैं । सैडिया संज्ञा पुं० देश० १ बाजरे की पकी हुई भातत । २ परेते पर लपेटा हुआ सूस । कुकी । अंडी-संज्ञा खी० सेन एरणड १ 2 रेंडी । रेंड के फल का बीज | २ रेंड वा एरंड का पेड़ ३ एक प्रकार का रेशमी कपड़ा जो रददी रेशम घ्नौर छाल भादि से बनता है । सैंडया-संज्ञा पुं० क्रि० ्रेंड्नाना वह पशु जो बचिया न किया . गया हो । झड़ । बि०-जो बचधिया न किया गया है । भाँड । सड्ाना-क्रि०्स० सं०भ्ण्ड | बचिया करना । बैल के झंइ कोश को कुचलना जिसमें बह मटखरी ने करें और ठीक भले | बचियाना । सैंडया बेल-संशा० पुं० | हिंवभैंड्मा + मैल | बिना बचियाया हुआ बे | सॉड । २ बड़े श्रेइकाशबाला भाइमी जो उसके बोफ से चन न सके । ४५ सुस्त भआदमी । सैंडवारी-संज्ञा० खो सं० भर - लंड इकडी | पक प्रकार की बहुत छोटी मछली । अंडेल-वि० हिं० भा जिसके पेट में डे हो । अंदेवाली | अंत-संज्ञा० पुं० सं० | वि० अंतिग सगे | १ वह स्थान था समय जहाँ से किसी चस्तु का ेत हो । समाप्ति । अझस्यीर । वसान । इति । उ०-- क बमकर अंत कतहूँ तह पावदि । ख दिन के भंत फिरी दो अभी ।---तुकली । इस शब्द में में पार को विभक्ति करने से शाख्िर कार निदान झ्े दाता है । क्रि० प्र०--करना ।---हेना | २ शेष भाग । झंतिम भाग । पिछुला अंश । मुद्दा ०-बनाना श्रेतिम भाग का च्छा हेमा -बिगडना ० ्रातिम वा पिछले भाग का बुरा होना | ३ पार । छार । सीमा । हद । भवत्ति । पराकाहा । उ०- क रस औवराइ सघन बन बरनि ते पारी संल ।---जायीपी । ख तुमने तो ह सी का अंत इद कर दिया । क्रि० प्र८-करना ।+-पासा ।-हीना | ४. झतकाल । मरण | सत्य । नाश । विसाश | के... उ० के जनम जनम मुनि जलन कराही । अंत राम कहि रावत नाही ।---लुजनसी । ख. कही पदमाकर थ्रिक्ूट ही को दाहि हार .इागत करेंई जातुधानन को श्रेत्त हो 1---पवुमाकर । क्रिप प्र०-करना 1---हीाना । २ परिणाम | फक्ष । नतीजा । उ०-त के बुरे काम का अेत बुरा होता है । ख कर भला है भक्ता । अंत भतें का




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