हिंदी शब्द सागर खंड 1 | Hindi Sabd Sagar Khand 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
94.55 MB
कुल पष्ठ :
481
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अंडज़ा ः श्छ हि का एक हक भप्रज्ञा-संज्ञा ख्री० सं० कस्तूरी । अेडचेड-संशा खी० भनु० १ श्रसंबद्ध प्लाप । मे सिर पैर की बात । ऊटपरांग । श्रनाप शनाप । रगड़ बगड़ । ब्यर्थ की बात । २ गाली । बुरी बात । क्रि० प्र०---कहना ।--बकना ।--बोलना । वि०-व्संबद्ध। वे सिर पेर का । इधर उधर का । श्रस्त व्यस्त । व्यथे का । प्रयोजनरहित 1 सैंडरना 1-क्रि० अ० सं० अतरण घान के पौधे का उस अवस्था में पहुँ चना जब बाल निकलने पर हें । रेंड़ना । गरभाना । अंडबूद्धि-संज्ञा ख्री० सं० एक रोग जिसमें अंडकोश वा. फोता फूल कर बहुत बढ़ जाता है । फ़ोते का बढ़ना । चिशेष-शरीर का बिगड़ा हुआ चायु. या जल नीचे की श्र चलकर पेड की एक श्रोर की संघियें से होता हुझा भ्रंडकाश में जा पहुँचता है शोर उसको बढ़ाता है । चेद्यक में इसके बातज पिसज श्रादि कई भेद माने गए हैं । अंडस-संज्ञा खरी० सं० अन्तर र्बाच में दाब मे कठिनता । कठि- नाई । मुशकिल । संकट । श्रसुबिधा । अंडा-संज्ञा पुं० सं० श्रड वि० भंडेल बच्चों को दूध न पिलाने चाले जंतुओं मादा के गर्भाशय से उत्पन्न गोल पि ड जिसमें से पीछे से उस जीव के श्रनुरूप बच्चा बन कर निक- लता है । वह गोल वस्तु जिसमें से पत्ती जलचर श्र सरीसप श्रादि झंडज जीघें के बब्च फूटकर निकलते हैं। बेज़ा । मुह ०--खटकना - अंडा फूटना ।--दीलषा होना वां सरकना - क नस ढीली होना । थकाबद आना | शिथिलन होसा । उ०--यह काम सहज नहीं है झंडा ढीला है। जायगा । ख खुक्ख हैनना । निद्रव्य होना । दिवालिया होना । उ०--ख्े करते करते झंडे ढीले हो गए ।---सरकना हाथ पैर हिनाना । अंग डालाना । उठना | उ०--बेंढे बेठे बताते हाथ झंडा नहीं सर कता ।--सरकाना द्ाथ पैर हिलाना । अंग डेललाना । उठना | उठकर जाना । उ०--घ्रब झंडा सरकाझा तब काम चलेगा । प्राय मोटे वा बड़े झंडकोश वाले ादमी को लक्ष्य करके यह मुद्दाविरा बना है ।--सेना क पक्षियों का अपने ंडे पर गर्मी पहुँचाने के लिये बेठना । ख घर में बेंठे रहना । बाइर न निकलना । उ०---क्या घर में पढ़े ंडे सेते है| । झंडे को शाइज़ादा वह्॒व्यक्ति जा कभी घर से बाहर न निकलता छ। वह जिसे कु्ठे ्नुमव न है । अंडाकार-वि० स० झंडे के श्राकार का । बैज़ाबी । उस परिधि के झाकार का जो झंडे की लंबाई के चारों श्रार खींचने से बने । लंबाई लिए हुए गोल । अंडाकृति-संज्ञा ख्री० से० झंडे का झाकार । झंडे की शकल । वि०्-ंडे के धाकार का । झंडाकार । रेड इच । अंड़िनी-संशा ख्री० सं० खियें का एक यानिरेग ज़िसमें कुछ अत मांस बढ़ कर बाहर निकल भाता हैं। इसे विनिकंद रोग सी कहते हैं । सैडिया संज्ञा पुं० देश० १ बाजरे की पकी हुई भातत । २ परेते पर लपेटा हुआ सूस । कुकी । अंडी-संज्ञा खी० सेन एरणड १ 2 रेंडी । रेंड के फल का बीज | २ रेंड वा एरंड का पेड़ ३ एक प्रकार का रेशमी कपड़ा जो रददी रेशम घ्नौर छाल भादि से बनता है । सैंडया-संज्ञा पुं० क्रि० ्रेंड्नाना वह पशु जो बचिया न किया . गया हो । झड़ । बि०-जो बचधिया न किया गया है । भाँड । सड्ाना-क्रि०्स० सं०भ्ण्ड | बचिया करना । बैल के झंइ कोश को कुचलना जिसमें बह मटखरी ने करें और ठीक भले | बचियाना । सैंडया बेल-संशा० पुं० | हिंवभैंड्मा + मैल | बिना बचियाया हुआ बे | सॉड । २ बड़े श्रेइकाशबाला भाइमी जो उसके बोफ से चन न सके । ४५ सुस्त भआदमी । सैंडवारी-संज्ञा० खो सं० भर - लंड इकडी | पक प्रकार की बहुत छोटी मछली । अंडेल-वि० हिं० भा जिसके पेट में डे हो । अंदेवाली | अंत-संज्ञा० पुं० सं० | वि० अंतिग सगे | १ वह स्थान था समय जहाँ से किसी चस्तु का ेत हो । समाप्ति । अझस्यीर । वसान । इति । उ०-- क बमकर अंत कतहूँ तह पावदि । ख दिन के भंत फिरी दो अभी ।---तुकली । इस शब्द में में पार को विभक्ति करने से शाख्िर कार निदान झ्े दाता है । क्रि० प्र०--करना ।---हेना | २ शेष भाग । झंतिम भाग । पिछुला अंश । मुद्दा ०-बनाना श्रेतिम भाग का च्छा हेमा -बिगडना ० ्रातिम वा पिछले भाग का बुरा होना | ३ पार । छार । सीमा । हद । भवत्ति । पराकाहा । उ०- क रस औवराइ सघन बन बरनि ते पारी संल ।---जायीपी । ख तुमने तो ह सी का अंत इद कर दिया । क्रि० प्र८-करना ।+-पासा ।-हीना | ४. झतकाल । मरण | सत्य । नाश । विसाश | के... उ० के जनम जनम मुनि जलन कराही । अंत राम कहि रावत नाही ।---लुजनसी । ख. कही पदमाकर थ्रिक्ूट ही को दाहि हार .इागत करेंई जातुधानन को श्रेत्त हो 1---पवुमाकर । क्रिप प्र०-करना 1---हीाना । २ परिणाम | फक्ष । नतीजा । उ०-त के बुरे काम का अेत बुरा होता है । ख कर भला है भक्ता । अंत भतें का
User Reviews
No Reviews | Add Yours...