समाजवाद - क्या है | Samajvad Kya Hai

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Samajvad Kya Hai by जगन्नाथप्रसाद मिश्र - Jagannath Prasad Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८1 रसे हुढभ जीवनसंगिनी भी मिली थी। उत्दनमें रहते हुए माक्सने अपने जीवनकी अमर्‌ कीर्ति समाजतंत्रवादकी वैज्ञानिक च्याख्याफे कार्यमें मन लगाया । प्रिटिश स्यूजियममें प्रतिदिन लगातार कई घंण्टेतक अधिराम परिश्रम करनेके बाद उसने अपनी बृददत्‌ पुस्तक प(2छ0817 की रचना समाप्त की । यद “केपिटढ” पुस्तक आज भी सारी दुनियामें बड़े भादरके साथ देखी जाती है भर समाजवादी तो धर्मपुस्वकफे समान श्रद्धाभावसे इसका अध्ययन करते हैं। “कैपिटल” पुस्तक 'चार खण्डॉमें विभक्त है। माप्सने केवल प्रथम खण्डकी ही यथार्थ रूपमें रचना की थी; बाकों खण्डोंको एब्जेल्सने माफसेके विभिन्‍न ढेखोसि संग्रद करके प्रकाशित्त किया! १्दई७ ई० में “कपिटल” के प्रकाशित दोनेके पदले ही माफ्सका सम्बन्ध (प51 [0(८चाध०081) 'प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय संघ' फे साथ स्थापित हुआ | माफ्स इसके संस्थापकोमें अल्यतस था ! उसीके उपर उसके प्रथम घोषणापत्र ( १127116510 ) की रचनाका भार पड़ा और मा्फ्सने अपने मठानुसार इस घोपणापत्रकी रथना की । चादमें प्रुधन और याकुनिनके साथ माफसका मतमेद दोनेफे कारण छन्तरो््रीय श्रमिक संघरमें कार्यकी झपेशा आत्मकलड दी विशेपरूपमें घटने छगा । इस भात्मकटदफे फटस्वरूप दी १८७६ ई० में इण्टरनेशनठ” का अस्तित्व लुप्त हो गया। इसके थाद १८७३-उद ई० में जय मा््स *ढेपिटल” का दूसरा सण्द प्रका- शिव करनेफे ठिये व्यस्त दो रददा था, उसी समय रोगाक्मान्स




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