प्रतिशोध | Pratishod
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
219
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विश्वम्भरनाथ शर्मा - Vishvambharnath Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भय श् न
नही जय बी दर नली जी
न नम कब कही अली नहीं ८ मा ते कह नहीं बागी बा «.
को मालूम हो तब तो खबर पहुंचे । वहाँ का कोई झादमी यहाँ श्राता
नहीं ।”
-“इसके श्रतिरिक्त मैंने वहाँ के सब श्रादमियों से कह दिया है कि
यदि किसी ने जाकर बड़े सरकार तक यह खबर पहुंचायी तो वह
जीवित ही दफन करा दिया जावेगा !”' अनिरुद्धसिह ने कछ शअभिमान
के साथ कहा ।
कवर साहव हँस कर कोठी की ओर चल दिये । श्रनिरुद्धसिह श्रक-
ड॒ता हुभ्रा दूसरी श्रोर चला गया ।
(रे)
उपयु क्त घटना हुए एक वर्ष व्यतीत हो गया । कवर बख्तावरसिहू
भ्रब दिकार खेलने बहुत ही कम जाते हैं । यदि उनसे शिकार खेलने का
कोई प्रस्ताव भी करता है तो बहुधा टाल जाया करते हैं ।
दोपहर का समय था । कोठी के एक सुसज्जित कमरे में कवर
साहब कुछ मित्रों के साथ तादा खेल रहे थे । इस समय -एक सेवक एक
तर्तरी पर एक मेला-सा लिफाफा रखे हुए लाया । उसने भुक कर
तइतरी कृ वर साहब के सन्मुख की । कवर साहब ने पहले कुछ क्षणों
तक लिफाफे को ध्यानपुवक्र देखा तत्पदचात सेवक से पुछा--कौन
लाया हैं!”
-'में तो पहचानता नही हुजूर, एक देहाती है ।”
उपस्थित मित्रों में से एक बोला--“बड़ा डर्टी (मेला) लिफाफा
है।” कुंवर साहब ने उसकी बात पर ध्यान न देकर लिफाफा उठा
लिया श्रौर उसे खोल कर पढ़ना श्रारंभ किया । दो चार पंकितयों पढ़
कर ही उनका मुख पीला पड़ गया । उन्होंने मित्रों से कहा--“मैं अभी
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