जैन कहानियां भाग - १२ | Jain Khaniya Part - 12
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
महेंद्र कुमार - Mahendra Kumar,
मुनिश्री नगराज जी - Munishri Nagaraj Ji,
सोहनलाल बाफणा - Sohanlal Bafana
मुनिश्री नगराज जी - Munishri Nagaraj Ji,
सोहनलाल बाफणा - Sohanlal Bafana
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
282
श्रेणी :
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महेंद्र कुमार - Mahendra Kumar
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मुनिश्री नगराज जी - Munishri Nagaraj Ji
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सोहनलाल बाफणा - Sohanlal Bafana
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हे
आरासशझोमा
पलास ग्राम में श्ररिनिषवर्मा ब्राह्मण रहता था 1
वह यज्ञ आदि श्रनुष्ठानो मे निपुण और चारों वेदों
का पारगामी विद्वान था । उसकी पत्नी का सलाम
ज्वलनदिखा था । कन्या का नाम विद्युत्प्रभा था ।
वहू विशेष सुन्दरी थी । जव वह झाठ वपं की हुई,
उसकी माता की छाया उस पर से उठ गई । विद्युत्-
प्रभा को गहरा झ्राघात लगा। साथ ही सारे घर का
भार भी उस पर ही थ्रा पडा । वह सूर्योदय से पहले
ही उठती, घर की सफाई करती, रसोई-घर को लीपती
ग्रौर उन सब कार्यों से निवृत्त होकर गौश्नों को चराने
के लिए जंगल मे जाती । मध्याह्न मे गौझो को लेकर
घर भात्ती, दूध निकालती, पिता को भोजन कराती,
स्वय भोजन करती ग्रौर गौओ को लेकर पुन जगल
चली जाती 1 सन्ध्या के बाद घर लौटती । साय-
कालीन कृत्यो से जब निवृत्त होती, वह बहुत धक जाती
थो। फिर भी बह पिता के सोने पर ही सोती श्रीर
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