कर्म ग्रन्थ भाग - 2 | Karm Granth Bhag - 2

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Karm Granth Bhag - 2  by मिश्रीमल जी महाराज - Mishrimal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हू हुई. 5 देशविरत युणस्थान में बंध प्रकृतियो की संख्या जी देशविरत गुणस्थान में वंधविच्छिन्न प्रकृतियो के नाम ्् प्रमत्तसंयत गुणस्थान मे बंध प्रकृतियो की संख्या दर गाथा ७.८ दुशापिय प्रमत्तसयत गुणस्थान में बंध विच्छिन्न प्रकृतियो के नाम ६ अप्रमत्तसंयत गुणस्थान मे वधयोग्य प्रकृतियो की संख्या घ्घ अप्रमत्तसयत गुणस्थान मे वधप्रकृतियो की भिन्नता का झ्दु स्पष्टीकरण गाथा €, १०: ११ ८-७३ अपूर्वकरण युणस्थान में वध प्रकृतियो की संख्या ७० अपूर्वकरण युणस्थान के सात भागों मे वध विच्छिन्न- ७० प्रकृतियों की सख्या व नाम अनिवृत्ति वादर गुणस्थान की वध प्रकृतियो की सख्या ७१ अनिदृत्ति वादर गुणस्थान के पाचे भागों मे वध विच्छिन्न ७२ होंने वाली प्रकृतियों की संख्या व क्रम सुकष्म सपराय गुणस्थान की वध योग्य प्रकृतियो की सख्या.. ७२ गाथा १२ ७४-७९ सूद्म संपराय गुणस्थान में वघ प्रकृतियो के नाम ७ उपणातमोहू, भीणमोहू, सयोगि केवली गुणस्थान में वध ७ प्रकृति सख्या और कारण अयोंगि केवली गुणस्थान में अवध व उसका कारण ७५ याथा १३ ७६-नप्र दय व उदीरणा का लक्षण ्त मं रे #2.. /2 नानास्यतया उदय योग्य प्रकृतियों की सख्णय व कारण ड मच्यत युणन्थान में उदय योग्य प्रकृतिया री




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