पाण्डव - चरितः भाग-१ | Pandav Charit Bhag -1

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Pandav Charitar Bhag -1 by चम्पालाल बांठिया - Champalal Banthia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बहाचये-की माहिमा - कि का, हस्तिनापुर 'नगर. मनोहर. जन-मन-रंजनद्दार, कौरव-कुल-नभ चन्द्र समान.है शान्तन्नु नुप सुखकार । गंगा महारानी के 'झगज दहेंश्री ग़ांगेय कुमारजी, . सब मिल -जय त़ोलो श्रह्म्रतघारी मीप्स की 191) आज संसार में जिस घ्रह्मचय की अत्यन्त आवश्यकता है दाघुनिक वैज्ञानिक भी जिसके वल -के मुकाबिले में -दूसरा कोई वल नहीं मानते, जिसकी -शक्ति कल्पना से,श्तीत श्रीर तक के थ्रमोचर है, जिसका प्रभाव अद्भुत है, जिसका चमत्कार पूर्व है और जिसकी महिमा अपरिमित है, जो घ्रह्मानस्द्र का दाता है; -ाध्यात्मिक तेज उत्पन्न करने चाला है, जीवन का सौन्दय है और-जिसके बिना शारीरिक, मानसिक श्रोर वाच- निक शक्तियाँ सोई पड़ी रहती है;-जो-इस-शरीर का 'जीवन है, इस जीवन, व्हा प्राण है,'प्राणों की द्ात्मा है, ्ात्मा का सर्वेस्व है और -सर्वस्व “का सार है, उस जहमचये का-चर्शन किन




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