भाषा एवं हिंदी भाषा | Bhasha Aur Hindi Bhasha

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Bhasha Aur Hindi Bhasha by डॉ. सतीश कुमार रोहरा

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आापा की परिभाषा ्‌ गाख हाथ गौर सिर के सकेतो से हो नहीं पाव को पटवकर गाल अथवा नथुने का पुलाकर दात अथवा जीभ दिखाकर भी भावा की अमियक्ति को जा सकती हू। प्रिय के किसा मधुर वोठ पर प्रेयसी व कपाला पर फल जानें बाली लालिमा बदा बाई भाव अभियक्त नहीं करती ? गा की थडियाँ तार बावू वी मशीन पर टिक टिक फ्वटों का घजनेवाला भोपू युद्ध वे आक्रमण को सूचना देनेवाला सायरन दिशा निर्देश वरनेवाली चौराहे पर लगी हुई बत्तिमाँ अथवा सिपाही के गिरते उठते हाथ सभी भाव अभिय्ति के साधन हैं। १८५७ की ब्राप्ति में बमल के पूल एवं रोटी द्वारा क्रांति का सदा पहुंचाया गया था । भापानभादालन के समय उत्तर भारत वे एक विश्वविद्यालय क छात्रा ने दूसरे विश्वविद्याठय के छात्रों को चूडिया का उपहार भेजकर लादोलन के लिए रलकारा था । अब यदि गाड़ को पढ़ी तार बाबू को टिक टिक और प्रेयसी के कपाला की लालिमा सबको भाषा मानकर उसका विश्टेपण किया जाप तो वह विदटेपण कसा हागा ? वह विदलेपण लौर चाहे कसा भी हा उसका स्वरूग विनान के अनुवूल नहीं हो सकता । किसी भी विपय वा वैतानिक अध्ययन तभी सभव हूँ जब कि उसका क्षेत्र निश्चित हो ओर क्षेत्र तभी निश्चित हो सकता हू जदवि उसका सीमाए निर्धारित हा । अत भाषा वा असीम नहीं समीम बनाकर ही उसका विशिष्ट एव वज्ञानिक लब्यपन किया जा सकता हु । किप्ली भी विपय को सीमाए दो वाता से निधारित हाती हू । एक तो उस विपम के अध्यपन का उद्देश्य और दूसरा उस विपय ये अध्ययन की पद्धति 1 भाषा विचान का टूष्टि स मापा के अध्ययन का उद्देयय है मापा वी कातरिक रचना को समझना तथा उस व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करना । भापाविज्ञान में भाषा के अययन के लिए जिस पद्धति का अनुसरण किया जाता हैं उसकी अ्रह्ृति बलानिक हू। इस निश्चित उद्देग्य एवं निश्चित पद्धति के कारण भाषा वितान में भाषा को दा सीमाएँ निर्धारित की गइ हू । ये सोमाएं ह-मानवीयता जौर बच्यता । पहली सीमा के कारण भाषा विनान में केवल मनुष्या की भाषा नी जव्ययन होता हू और दूसरी सोमा के नारण भाषा विान मे विचार विनिमय बी बेवलू उस पद्टति का भाषा माना जाता हैं जिसमें क्यन की क्रिया हो । किसी किया को क्यन तव कट्दा जाता हू जब उसमें उच्चारण-अ यया दास ध्वनिया का हेंदु पूवक उच्चारण किया गया हो । अत डच्चरित ध्वनिया और उन ध्वनियों द्वारा अभिव्यक्त देतु हो वे तच्व दें जो छिसी क्रिया को




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