भड़ामसिंह शर्मा | Bhadamasingh Sharma
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
135
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जी. पी. श्रीवास्तव - G. P. Shrivastav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भड़ामसिंह राम
“हाफ्जा गर वरल ख्वाही सुलह कुन बा खासो आम |
वा मुसलमा अल््छा अव्छा वा बरहमन राम राम ॥?””
बह शादी रात है !
दो झादमी यह सुनते दो चोंक पड़े और जिधघरसे यह आवाज़
आई थी, उघर ग़ौरसे देखने क्गे। एक झझादमीका ढांचा एक
कोनेमें सिकुड़ा-सिकुड़ाया पुलिन्देकी सूरतमें कुछ गड़बढ़सा दिखाई
पढ़ा। रोशनी इस कम्नाट्मेंटमें ठोक नहीं पढ़ती थी । एक तो
यों दो अंघियाकी थी । उद्रपर आधी सूरत । मुंदकी जगद
खाक्ी चाँद घुटी खोपड़ी नजर श्राती थी । इचलिये इनकी
शकलकी इुक्षिया लिखना अभी जरा टेढ़ी वीर है। दोनों इघर
देख ही रहे थे कि सामनेकी बंचपरस्रे तीन झादमों एकबारगी
योक्ष उठे ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...