पांच - फूल | Panch -phool
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.57 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इस्तीफा
र
दुफ़्तर का चादू एक चेज्ञवान जीव शे। सज्ञदर को पाँखें दिसाश्रो, तो
चद्द व्योरियों बदलकर खड़ा हो जावेगा । छुली को एक ठौंट बताघघो, तो सिर
से वोक फेंफकर घपनी राद जेगा । किप्ती मिसारी को दुतकारो, तो वह
तुस्दारी घोर युस्से की निगाह से देखकर ला जायगा । चदों तक फि गधा
थी कभीनकभी तकलीफ़ पाकर दो-लखियों काटे लगता है ; मगर येयारे
दुप़रतर के घावू को घाप चाहे रखिं दिसायें, डॉट बताये, दुतकररें या ठोपरें
सारे, उसके साथे पर पल न झावेगा । उसे घपने विचारों पर जो श्राधिपत्य
्लोता है, चहु शायद किसी संयमी साएइु सें भी न हो । सन्तोप का पुतला
सच की मूर्ति, सच्चा घाझाकारी, गरकज्ञ उसमें तसाम मा
मौजूद ऐोती हैं । खैडटर के सी एक दिन सारय सगे है
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उस पर सी रोशनी छोती है, दरस उस पर हरियाली छाती है, प्रकक
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नवी 'झच्द्राइ्यों
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की दिलिचरिपयों में उसका भी ट्स्सा है। सगर इस गार
दी नहीं जागते । इसको घंघेरी तकदीर सें रोशनों का जलदा करी दिखाई
नर
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नहीं देता 1 टूसके पीले चेट्रे पर सुसकराहट वी रोशनी नजर नददीं
घ्ाती । इसके ,लिए सूखा-सावन हैं कभी हरा भादों नहों 1 साया फातद्द
बत ऐपे ही एक , जीद थे |
दष्ते हैं सफप्य पर उसके नास का भी कुच धसर पदता है । पनइचन्द
की दधा सें यद्द दात यधाध सिद्ध न हो सकी । यदि उन्हें 'हारचन्दा कटा
जाय, हो चराचितू यह यु
कक न के
सिंगर से हार, जोदस में उनके लिए चारों घोर हार घोर निराशाएँ हो थीं |
छएका एक सी नहीं रुदडियों दीन, माई एक सी नहीं स्डाइयाँ दो, गांड में
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