गुण - गीतिका | Gun-geetika
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जय गुण गीतिका . !
१०--सथारो मैं करस्या हो श्रासक सेणा साभलो,
काढ़ी छे मुख चाय ।
श्रावक॒ कांगद हो धीकासेर मोफले,
स्पामीजी ने वेग घुलाय ॥ पूज्य० ॥|
श१--कांगद चाच्या हो स्यामी “'रायचन्दजी,'
कीनो घुरत उिद्ार 1
नागौर पधारिया दो चरण पृद्यरा भेटिया,
पूज्य. दप्या. तिणयार ॥ पूपय० ॥
१०--तपस्या.. मांडी दो... सलेसणा,
कीना ण्कास्तर इग्यार।
एक चेला रो द्दो कियो पूथयजी पारणों,
विगय... हणा.. परिद्दार (| पूज्य० ॥
१३--दूजे बेलारो हो कीजे पृश्यजी पारणो,
को से तो कियो रे सवार
इरगिज श्ट्दार हो तीनो री दायो नहीं,
चढियो परिणाम पेले पार ॥ पूप्य० ॥)
१४--स्वामी 'रायचन्दली' दो ऊद्दे पूजय नी यीजे पारणो,
श्रायक कह जोडी हाथ ।
राजपंय पीधी हो पूदयजी छु पिनेती,
पिण मुख्य एक चाहत ॥ प्रूय० ॥
श्श--सयव श्ठारे दो. ययें. तेपने,
चैत्र पूसम धुकयार 1
घर नागीर में हो चारु सबरा यृन्द में,
क्यों जाय जीय सवार ॥ पूझ्य० ॥
हइ-नगर ना. लोफ दो टोने संघरे,
दर्शन पूपयत्री सु राग ।
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