उलूक - तंत्र | Ulook-tantra

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Book Image : उलूक - तंत्र  - Ulook-tantra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उठकर था. जितना छुढ्सीदासजीकों था | . पर तुलसीदास धर्मशास्त्री नेहीं--- अतः. श्रीबास्तवजी--- ये. सब्र. ताइनके अधिकारी को पूर्ण सत्य और मानते हुए थी. तदनुसार काम करने हिंचके .. और अन्तमें उसी सेजोसे आगे बढ़ें जिस तेजीसे गज्ञाके उस पारकी हैंडियां आॉँ घीके बेगसे खढ़क चलती है । पर बन्दावनविद्ारीजीका लक्ष्य निर्दिष्ट था 1. वें लुछाककों .. दूकारनकी ओर बढ़ रहे थे | व दूकोनें बन्द हो गयीं थीं कंबल एक दूकानदार ताले बन्द कर रहा. था । श्रीवास्तबजी उसके पास पहुँचे और री सार जुलाकं दे देमेको कहा जिस आिजीसें रे. एप ये ४ कहते हैं। कद कक कं रकानदासं एकबार उनकी और देखा ये ठसे समय ऐसे थे जैसे बाद और उसका फ्द प्रकट होनेकें पहले महर्षि विश्वामित्र निका्ी सामंते स्व हुए थे 1. सब दूकासदार.. पुना अपने करार छग गया 1. भीवारतबणीन उससे. यह कद निधि णि _ मिलेमेसे संसार किन रा शि्ासियीर सनक हो सकी है विंश्रारा था कि न सा पर. ने कोर साली बकरा चूकामिदारको सार जि सरपंक स्वाधित कर वहा नर हा पे किक हम किए सार दी नो सपर खाना एसी रस नि




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