संसार के महान् साहित्यिक | Sansaar Ke Mahan Sahityik

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Sansaar Ke Mahan Sahityik by राजबहादुर सिंह - Rajbahadur Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ रै५ | यदि में उपर्युक्त भाषाओ के मौलिक ग्रथ पढ़कर उनपर सेह पुस्तक लिख सकता तो यह सकलन कही अधिक सुन्दर और प्रामा- णिक होता, किन्तु हिन्दी-लेखको मे कदाचित्‌ एक भी ऐसा नही है जो उपर्युक्तं सभी भाषाओ का सम्यक्‌ रूपेण ज्ञान रखता हो, अत इसके लिये प्रतीक्षा करना कि कोई इन भाषाओ का पण्डित ही ऐसी पुस्तक लिखे, बहुत विलम्ब का कारण होता ओर हिन्दी- जगत्‌ ससार के साहित्यिको का इस रूप में शीघ्र परिचय न प्राप्त कर सकता । पुस्तक कैसी हुई है और इसके लिखने भे कितना परिश्रम उठाना पडा तथा साधन उपलब्ध करने के लिये कितना कष्ट उठाना पडा, यह सब बतलाना मेरा काम नहीं । इसका सारा श्रेय प्रकाशकों को है । आशा है हिन्दी के पाठक इस पुस्तक द्वारा ससार के प्रमुख साहित्यिको और उनकी रचनाओ का परिचय पाकर अपने दुष्टि- कोण को अधिके विस्तृत वनायेगे मौर हिन्दी मे भी वह्‌ दिन लाने का प्रयत्न करेगे जव हमारे देश के धनी-मानी, सेठ साहुकार भौर राजे-महाराजो में से कोई ऐसे पुरस्कार की योजना करेगा जिसके लिये वाईस करोड जन-समाज के द्वारा समझी और बोली जाने- वाली हिन्दी गौरव से अपना मस्तक ऊँचा कर सके । श्री चेंकरेश्वर प्रेस, वस्व, गगा दशहरा, १९९२ वि० एस जबहादुर सिह




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