रचनानुवाद कौमुदी | Rachananuvadh Kaumudi

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Rachananuvadh Kaumudi by कपिलदेव द्विवेदी - Kapildev Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९५ ) (ग) व्याकरण के नियमों के उदाहरण भी साथ ही दिये गये हैं । कुछ नियम के उदाइरण उदाइरग-वाक्यों में मिढेंगे | उन्हें ध्यानपूर्वक समझ हें । (ख) संक्षेप के लिए. कतिपय सवेत का उपयोग किया गया हे! उनका यथा- स्थान निदेश किया गया है । जेखे- ययमा, दितीया आदि केलिए प्रर, द्वि° आदि । चिह>>का प्रयोग का रूप वनदाहै' इस अर्थ में किया गया है, स्मरण रखें । जैसे भू:>भचति, अर्थात्‌ भू धातु का. भवति रूप घनता है । इस पुस्तक में हस्व ऋ ओर वी पर इस प्रकार से छे दै, सरण रे । हख ऋ दीपं ऋ । (६) उदाहरण-वाक्य--व्याकरण के जो नियम उस अभ्यास में दिये गये हैं तथा जो नये शब्द्‌ दिये गये हैं, उनका प्रयोग उदाहरण वाक्यों में किया गया हैं । उदाहरण चाक्यो को बहुत प्यामपूर्वक समझ लूँ । प्रत्येक वाक्य में किसी विदोप निवम या खन्द का प्रयोग सिखाया गया दै | उदादस्ण-वाक्यो को ठीक समझ लेने से अनुवाद में कोई कठिनाई नहीं होती । (७) भनुवाद-जो व्याकरण के नियम या नये झाव्द उस अभ्यास में दिये गये दै, उनका विदो सरे अम्याख कराया गथा है । अनुवाद बनाने में जहाँ भी कठिनाई हो, ब्दों उदाइरण-वाक्यों को देखें । उनसे आपकी कठिनाई दूर होगी । अयुद्ध वाक्यों के शुद्ध वाक्य जो दिये गये हैं, उनसे भी सहायता लीजिये । (८) झुद्ध-वाक्य--अशुद्ध-वाक्यों के जो झुद्ध-बाक्य या झुद्ध रूप दिये गये हैं, उनको ध्यानपूर्वक सरण कर क | प्रयस्न करें कि वदद चुटि आगे न हो । जो बुधो एक चार चता दी हैं; उनका बार-बार निर्देश नहीं किया गया है | शुद्ध-बाक्य के आगे नियम की संख्या दी है, उस नियम को व्याकरणवाले अंदा में देखे | (९) अम्यास--अभ्यासों में काल-परिवर्तन, वचन-परिवर्तन आदि का अभ्यास कराया गया है । अम्यास में जितने प्रन दिये गए है, उनको पूरा करने का पूर्णं यल करें | तभी अनुवाद और व्याकरण का अभ्यास परिपत्र होगा । वाक्य-स्वना आदिकः कार्य को भी न छोड़ें । कद्दों कठिनाई प्रतीत दो तो अध्यापक की सहायता ले | (९०) अभ्यासे के यन्त मे १२२ पृष्ठ से सभी आवय्यक दयाब्दों और धावुओं के रुप ट्रिये,गाए हैं । उनको थुद्ध रूप में स्मरण करें और उनका प्रयोग चरें (१९) पुस्तक में जितनी घातुओं का प्रयोग हुआ है, उन सबके पॉचां लकारों के रुप संश्िप्त घातुकोप में हैं, उन्दें वहाँ देखें । _ (१९ पर लिखने का प्रकार भी दिया गया है । अन्त मे निवन्थ दिखने का प्रकार तथा उदाइरण-रुप में २० मिवन्घ हैं, तदनुसार अन्य निव्रनध स्यं लिखें |




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