बापू की प्रेम प्रसादी | Bapu Ki Prem Prasadi
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
458
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about घनश्यामदास बिड़ला - Ghanshyamdas Bidla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
गाधौजी पतच व्यवहार में बहुत ही नियमित थे । पत्न-व्यवहार वे द्वारा ही वे
असब्य लोगा स हार्दिक सम्बंध रख सकते थे और उह जीवन मे ऊचे आदश
सिद्ध करने के लिए प्रेरित करते थे । जिसके साथ सम्य ध भाया उसके 'यक्तिगत
जीवन मं हृदय से प्रवेश पाना उसकी योग्यता उसवी खूबी जौर उसकी गहराई
को समसकर उसके विकास मे मदद देना, यह थौ उनके पत्न-व्यवहार की
विशेषता । गाधीजी का पत्न-साहित्य उनके लेखा और भाषणों के जितना ही
महत्व का है। उनवे' “यवितत्व को समझने के लिए उनका यह पत्र साहित्य बहुत
ही उपयोगी है। मैंने देया है कि पत्नो म उनकी लेखन शली भी अनोपी होती हू ।
ससार में शायद ही ऐसा कोई नेता हुआ होगा जिसने अपने पीछे गाधीजी ये
जितना पतन व्यवहार छोड रखा हो ।
गाधीजी का पत्र यवहार पडते समय मृज्ञे हमेशा यही प्रतीत हुआ है, माना
मैं पदिप्त गगाजी मे स्नान जीर पान कर रहा ह । मुक्षे उस्म हमेशा पवित्रता भौर
भरसनता का ही अनुभव टमा है । उसके इद गिद का वायुमडल परावन, प्राणदायी
योर् प्रशमकारी ६1
दसीलिए जब श्री धनश्यामदास पी विडला न गाधीजी के साथ का अपना
पत्न-व्यवहार मेरे पास भेज दिया तो सुझे बडा जान ह हुआ नौर उत्साह के साथ
मैं उसे पटने लगा। जसे-जैसे पढ़ता गया वसे वसे स्पप्त होता गया कि बह बेवल
पने्यामदासजौ नौर गाधीजी के बीच वा हो पत्र यवहार नहीं है। इसम ता
गाधीजी के अभिन साथी स्व ० महादेवभाइ देसाइ और घनश्यामदासजी मे” बोच
का पत्तःव्यवहार हौ सवम अधित है। इसके अतिरिवन गाधीजी के जय साथिया,
देश ब बर्ड नताओ और मायकर्ताओ अग्रज वाइसराया जौर कूटनीतिनः मैः साय
वा पत्न-व्यवहार भी है और उनकी मुलावाता वा विवरण भी ।
सक्षेप म--हमारे युग का एक महत्व वा इतिहास इसमें भरा हुआ हैं ।
यह् दपकर मेर मुह ते उद्गार निवल पडा
माय 1 यहं सारी सामग्रौ पाच साल पटले मर टायामे आत्ती।'
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