मानसिक शक्ति | Mansik Shakti

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Mansik Shakti by बाबू चेतनदास - Babu Chetandasबाबू नाथूराम सिंघई - Babu Nathuram Singhi

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बाबू नाथूराम सिंघई - Babu Nathuram Singhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुछ विचार नहीं करते हैं । कैसा झानन्द है या जायें कि केवल सब दवा ही हमारी नहीं है जिसकी इसके डावश्यकता है; यह धूप ही हमारी नहीं है और यह अन्न नहीं हैं. कितु इतना ही और इसी प्रकार हर एक लाभदायक कार्यकारी वस्तु भी हमारी है । जिस किसी ल्‍ मन इच्छा करता है, जो कुछ भी भलाई दमारे साथ चाह . है, जिस किसी भी पद पर हम पहुंचना चाहते हैं. वह सब हारा है । अर्थात्‌ मेरा भी भर झापका भी । भर य विचार पूर्वक रहें, सचेत हकर रहें ; जोश के साथ रहें ता से रहें ता इन बातों का इपारे जोवन पर प्रभाव पड़ेगा ब्योकि कहा है, “जादा जापर सत्य सनेहू, से! न कु सन्दह्ू सा मकर कम दि के 1 का ही




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